img

Up Kiran, Digital Desk: जब भी फेफड़ों के कैंसर (Lung Cancer) का नाम आता है, तो हमारे दिमाग में एक ही तस्वीर बनती है - धुएं का छल्ला उड़ाता एक चेन स्मोकर. सालों से फिल्मों और विज्ञापनों ने हमारे मन में यह बात इतनी गहराई से बिठा दी है कि हम इस बीमारी से जुड़ी कई खतरनाक गलतफहमियों का शिकार हो गए हैं. ये गलतफहमियां या मिथक इतने आम हैं कि लोग अक्सर इस जानलेवा बीमारी के शुरुआती लक्षणों को भी नजरअंदाज कर देते हैं.

आज हम फेफड़ों के कैंसर से जुड़े ऐसे ही 5 सबसे बड़े झूठ और उनके पीछे के सच को जानेंगे, क्योंकि सही जानकारी ही इस बीमारी से बचाव का पहला कदम है.

झूठ नंबर 1: फेफड़ों का कैंसर सिर्फ सिगरेट पीने वालों को ही होता है.

सच: यह फेफड़ों के कैंसर से जुड़ा सबसे बड़ा और सबसे खतरनाक झूठ है. यह सच है कि धूम्रपान इस बीमारी का सबसे बड़ा कारण है, लेकिन यह एकमात्र कारण नहीं है. हर साल हजारों ऐसे लोग इस बीमारी का शिकार होते हैं, जिन्होंने अपनी जिंदगी में कभी सिगरेट को हाथ तक नहीं लगाया होता.

धूम्रपान के अलावा ये हैं बड़े कारणपैसिव स्मोकिंग (Secondhand Smoke): अगर आप किसी ऐसे व्यक्ति के साथ रहते या काम करते हैं जो धूम्रपान करता है, तो आपको भी उतना ही खतरा है.

वायु प्रदूषण: गाड़ियों और फैक्ट्रियों से निकलने वाला जहरीला धुआं धीरे-धीरे हमारे फेफड़ों को कमजोर कर रहा है.

रेडॉन गैस: यह एक प्राकृतिक गैस है जो घरों में नींव के रास्ते आ सकती है और फेफड़ों के कैंसर का एक बड़ा कारण है.

पारिवारिक इतिहास: अगर आपके परिवार में किसी को फेफड़ों का कैंसर रहा है, तो आपका खतरा थोड़ा बढ़ जाता है.

झूठ नंबर 2: "अगर मुझे फेफड़ों का कैंसर होता, तो मुझे पता चल जाता, क्योंकि इसके लक्षण बहुत साफ होते हैं.

सच: यही इस बीमारी की सबसे डरावनी बात है. शुरुआती स्टेज में फेफड़ों के कैंसर के कोई खास लक्षण नहीं होते, या फिर लक्षण इतने सामान्य होते हैं कि हम उन्हें मौसम का बदलाव या मामूली इंफेक्शन समझकर नजरअंदाज कर देते हैं. जब तक सीने में तेज दर्द या खांसी में खून आने जैसे गंभीर लक्षण दिखाई देते हैं, तब तक अक्सर बहुत देर हो चुकी होती है और कैंसर फैल चुका होता है.

इन सामान्य लक्षणों पर ध्यान दें

लगातार रहने वाली खांसी जो ठीक न हो रही हो.

सांस लेने में हल्की तकलीफ या सांस का छोटा होना.

हर समय थकान महसूस होना.

बिना किसी कारण के वजन कम होना.

झूठ नंबर 3: "यह सिर्फ बूढ़े लोगों की बीमारी है."

सच: यह सच है कि उम्र बढ़ने के साथ इसका खतरा बढ़ता है, लेकिन यह बीमारी अब किसी भी उम्र में हो सकती है. आजकल की खराब लाइफस्टाइल, बढ़ते प्रदूषण और अन्य कारणों की वजह से अब 40 या 50 साल से कम उम्र के लोगों में भी फेफड़ों के कैंसर के मामले देखे जा रहे हैं. इसलिए, उम्र की परवाह किए बिना, किसी भी लक्षण को गंभीरता से लेना जरूरी है.

झूठ नंबर 4: "फेफड़ों के कैंसर का मतलब है- मौत."

सच: यह बात अब पुरानी हो चुकी है. मेडिकल साइंस ने बहुत तरक्की कर ली है. यह सच है कि यह एक गंभीर बीमारी है, लेकिन अगर इसका पता शुरुआती स्टेज में चल जाए, तो इसका इलाज पूरी तरह से संभव है. आजकल टारगेटेड थेरेपी, इम्यूनोथेरेपी और एडवांस सर्जरी जैसी इलाज की नई तकनीकें मौजूद हैं, जिनसे मरीजों की जान बचाई जा सकती है और उन्हें एक लंबी और स्वस्थ जिंदगी दी जा सकती है. सबसे ज़रूरी है कि बीमारी का पता जल्दी चले.

झूठ नंबर 5: "सिगरेट छोड़ने से अब कोई फायदा नहीं, जो नुकसान होना था वो हो चुका है

सच: यह सोचना आपकी सबसे बड़ी गलती हो सकती है. आप जिस दिन धूम्रपान छोड़ते हैं, उसी दिन से आपके शरीर में सुधार होना शुरू हो जाता है. धूम्रपान छोड़ने के 10 साल बाद, आपके फेफड़ों के कैंसर का खतरा धूम्रपान करने वाले व्यक्ति की तुलना में लगभग आधा रह जाता है. किसी भी उम्र में सिगरेट छोड़ना आपके स्वास्थ्य के लिए लिया गया सबसे अच्छा फैसला है.