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Up Kiran, Digital Desk: क्या आपने कभी सोचा है कि आपका एक दोस्त जिम में दो महीने जाकर ही बॉडी बना लेता है, जबकि आप छह महीने तक पसीना बहाकर भी वहीं के वहीं रहते हैं? या आपकी पत्नी मीठा खाने के बाद भी स्लिम-ट्रिम रहती है, और आपको एक चॉकलेट भी वजन बढ़ा देती है? हम अक्सर इसके लिए अपनी किस्मत या willpower को दोष देते हैं. लेकिन विज्ञान कहता है कि इसका जवाब आपकी कुंडली में नहीं, बल्कि आपके DNA में छिपा है.

जी हाँ, आपके जीन्स (Genes) ही वो सीक्रेट कोड हैं, जो यह तय करते हैं कि कौन सी एक्सरसाइज आप पर ज़्यादा असर करेगी, कौन सा खाना आपको मोटा करेगा और कौन सा खाना आपको सेहतमंद रखेगा.

DNA कैसे बनता है आपका फिटनेस और डाइट कोच?

आइए, इसे आसान भाषा में समझते हैं.

1.आपका शरीर किस एक्सरसाइज के लिए बना है?

हर किसी का शरीर एक जैसा नहीं होता. कुछ लोग मैराथन दौड़ने के लिए बने होते हैं, तो कुछ वजन उठाने के लिए. यह आपके DNA में मौजूद कुछ खास जीन्स तय करते हैं.

ACTN3 जीन: इसे "स्पीड जीन" भी कहते हैं. अगर आपके पास इसका एक खास वैरियंट है, तो आपकी मांसपेशियां sprinter यानी तेज दौड़ने वालों जैसी होंगी. वहीं, दूसरे वैरियंट वाले लोग endurance यानी मैराथन जैसे लंबे समय वाले खेलों में बेहतर होते हैं.

ADRB2 जीन: यह जीन तय करता है कि एक्सरसाइज के दौरान आपका दिल कितनी कुशलता से काम करेगा.

इसका मतलब यह है कि अगर आप अपने जेनेटिक बनावट के हिसाब से एक्सरसाइज चुनते हैं (जैसे वेट ट्रेनिंग या कार्डियो), तो आपको नतीजे कहीं ज़्यादा तेजी से और बेहतर मिलेंगे.

2. कड़वी कॉफी या मीठी चाय? पसंद तय करता है DNA

आपको क्या खाना पसंद है और क्या नहीं, इसमें भी आपके जीन्स की बड़ी भूमिका होती है.

TAS2R38 जीन: यह जीन बताता है कि आपको कड़वा स्वाद कैसा लगता है. जिन लोगों में यह जीन ज़्यादा एक्टिव होता है, उन्हें करेला या ब्रोकली जैसी कड़वी सब्ज़ियां बिल्कुल पसंद नहीं आतीं.

FTO जीन: इसे "फैट जीन" भी कहा जाता है. जिन लोगों में इस जीन का एक खास प्रकार होता है, उन्हें ज़्यादा फैट और मीठा खाने की इच्छा होती है और उनका पेट भी देर से भरता है. यही वजह है कि ऐसे लोगों में मोटापे का खतरा ज़्यादा होता है.

3. क्या आपको दूध पचाने में दिक्कत होती है?

बहुत से लोगों को दूध पीने के बाद पेट में गड़बड़ महसूस होती है. इसके पीछे LCT जीन ज़िम्मेदार है. यह जीन 'लैक्टेज' नाम का एंजाइम बनाता है, जो दूध की शुगर (लैक्टोज) को पचाता है. जिन लोगों में यह जीन कम एक्टिव होता है, वे लैक्टोज को पचा नहीं पाते.

तो इसका मतलब क्या है? क्या हम जीन्स के गुलाम हैं?

बिल्कुल नहीं! आपका DNA सिर्फ एक रोडमैप है, मंजिल नहीं. यह जानना कि आपकी जेनेटिक बनावट कैसी है, आपको एक बहुत बड़ी ताकत देता है.

स्मार्ट बनें: अगर आपको पता है कि आपका शरीर कार्बोहाइड्रेट को आसानी से फैट में बदल देता है, तो आप अपनी डाइट में प्रोटीन और फाइबर बढ़ा सकते हैं.

सही एक्सरसाइज चुनें: अगर आपका DNA बताता है कि आप endurance वाले कामों में बेहतर हैं, तो आप वेट लिफ्टिंग के बजाय रनिंग या साइकिलिंग पर ज़्यादा ध्यान दे सकते हैं.

आजकल कई ऐसी जेनेटिक टेस्टिंग किट्स उपलब्ध हैं, जो आपके DNA का विश्लेषण करके आपकी सेहत का पूरा खाका तैयार कर सकती हैं. यह "Personalised Wellness" का भविष्य है, जहां हर व्यक्ति के लिए उसकी अपनी खास डाइट और फिटनेस प्लान होगा. तो अगली बार जब आप डाइटिंग या जिम शुरू करें, तो याद रखें- दूसरों की नकल करने के बजाय, अपने DNA की सुनें!