
Up Kiran, Digital Desk: कर्नाटक सरकार अपने पांच प्रमुख विभागों में पूंजीगत वित्तपोषण (capital funding) के लिए नवाचारी (innovative) तरीकों को अपनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठा रही है। सरकार ने इसके लिए एक परामर्शदाता (consultant) नियुक्त करने का निर्णय लिया है, जो इन विभागों के लिए पूंजी जुटाने की रणनीतियों पर काम करेगा। यह पहल राज्य में वित्तीय प्रबंधन (financial management) और विकास परियोजनाओं (development projects) को गति देने के प्रयासों का हिस्सा है, विशेष रूप से राज्य द्वारा जारी की गई गारंटियों (guarantees) के बाद।
किस विभाग में होगा फोकस?
हालांकि लेख में उन पांच विभागों का नाम नहीं बताया गया है, लेकिन यह माना जा सकता है कि ये वे विभाग होंगे जिन्हें बुनियादी ढांचे (infrastructure), सार्वजनिक सेवाओं (public services), और आर्थिक विकास (economic development) से संबंधित परियोजनाओं के लिए भारी निवेश की आवश्यकता होती है। इन विभागों में वित्त, योजना, बुनियादी ढांचा, स्वास्थ्य, शिक्षा, या परिवहन जैसे क्षेत्र शामिल हो सकते हैं।
'नवाचारी पूंजी' का महत्व:
पारंपरिक सरकारी वित्तपोषण विधियों के अलावा, नवाचारी पूंजी वित्तपोषण (innovative capital funding) का अर्थ है नई और रचनात्मक वित्तीय रणनीतियों का उपयोग करना। इसमें सार्वजनिक-निजी भागीदारी (Public-Private Partnerships - PPP), बांड जारी करना (issuing bonds), विशेष प्रयोजन वाहन (Special Purpose Vehicles - SPVs) का गठन, या अन्य बाजार-आधारित वित्तीय साधन (market-based financial instruments) शामिल हो सकते हैं। एक बाहरी परामर्शदाता इन रणनीतियों के मूल्यांकन, डिजाइन और कार्यान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
सरकार का लक्ष्य: इस कदम का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि राज्य के विकास के लिए आवश्यक धन सुचारू रूप से उपलब्ध हो और इसका उपयोग प्रभावी ढंग से हो। एक विशेषज्ञ सलाहकार इन विभागों को वित्तपोषण के लिए संभावित स्रोतों की पहचान करने, जोखिमों का प्रबंधन करने, और परियोजनाओं की वित्तीय व्यवहार्यता (financial viability) सुनिश्चित करने में मदद करेगा।
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