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Up Kiran, Digital Desk: वैश्विक व्यापार पर मंडराते अनिश्चितता के बादल उस समय कुछ हद तक छंटते नजर आए जब यह संकेत मिले कि भारत और अमेरिका के बीच एक अस्थायी व्यापार समझौता जल्द आकार ले सकता है। बदलते भू-राजनीतिक समीकरणों और विश्व व्यापार संगठन के इर्द-गिर्द बढ़ते तनाव के बीच यह विकास दोनों देशों के लिए सामरिक दृष्टि से अहम माना जा रहा है।
सूत्रों के अनुसार, भारत और अमेरिका एक अंतरिम व्यापार समझौते पर तेजी से काम कर रहे हैं, जिसके तहत प्रस्तावित टैरिफ को 20% से नीचे लाया जा सकता है। यह कदम भारत को आर्थिक रूप से मजबूत स्थिति में लाने में सहायक हो सकता है, खासकर ऐसे समय में जब कई अन्य राष्ट्र अमेरिकी शुल्कों की मार झेल रहे हैं।
विशेष बात यह है कि अमेरिका ने इस सप्ताह भारत को टैरिफ बढ़ाने संबंधी कोई आधिकारिक नोटिस जारी नहीं किया है, जबकि लगभग 20 अन्य देशों को कठोर भाषा में चेतावनी पत्र भेजे जा चुके हैं। इन पत्रों में शुल्क दरों में भारी वृद्धि की बात कही गई है—कुछ मामलों में 50% तक की टैरिफ दरें भी तय की गई हैं। इसके उलट भारत को अभी तक इस तरह की किसी सख्ती का सामना नहीं करना पड़ा, और इसका मुख्य कारण है — दोनों देशों के बीच चल रही सार्थक व्यापार वार्ता।
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, यह प्रस्तावित समझौता अमेरिका और भारत दोनों को लंबी अवधि के समाधान की दिशा में आगे बढ़ने का समय देगा। शुरुआत में अमेरिका ने भारत पर 26% शुल्क लगाने का सुझाव दिया था, लेकिन अब इसे घटाकर 20% से कम करने पर विचार चल रहा है। यह समझौता एक औपचारिक बयान के जरिए सार्वजनिक किया जा सकता है, हालांकि इसकी सटीक तारीख या समयसीमा अभी निर्धारित नहीं हुई है।
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