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Uttarakhand News: उत्तराखंड में सरकारी दफ्तरों-परिसरों में काम कर रहे दैनिक वेतनभोगी, संविदा, और वर्कचार्ज कर्मचारियों के लिए खुशखबरी है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में हाल ही में हुई कैबिनेट बैठक में इन कर्मचारियों को परमानेंट करने पर सहमति जताई गई है।

इस प्रक्रिया के लिए कट ऑफ डेट पर निर्णय अगली कैबिनेट मीटिंग में लिया जाएगा। उत्तराखंड के बनने के बाद, कई विभागों में तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के पदों पर इन अस्थायी कर्मचारियों को रखा गया था। 2011 में सरकार ने इन कर्मचारियों के नियमितीकरण के लिए एक पॉलिसी बनाई थी, जो 10 साल की सेवा पूरी करने पर स्थायी नियुक्ति की अनुमति देती थी।

दिसंबर 2013 में पॉलिसी में संशोधन करते हुए नियमितीकरण की शर्त को 10 साल से घटाकर 5 साल कर दिया गया था। हालांकि, 2016 में एक बार फिर से इसे बढ़ाया गया, जिसके खिलाफ कुछ युवाओं ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। दिसंबर 2018 में अदालत ने 2016 की पॉलिसी को खारिज करते हुए 2013 की पॉलिसी को बहाल कर दिया, मगर इस बार नियमितीकरण के लिए सेवा की अवधि को 10 साल करने का निर्देश दिया।

अब फरवरी 2024 में हाईकोर्ट द्वारा 2013 की पॉलिसी को फिर से मान्यता दी गई है, लेकिन 10 साल की सेवा की शर्त को बनाए रखा गया है।

4000 से ज्यादा कर्मचारियों को होगा फायदा

बता दें कि नई पॉलिसी के तहत राज्य के अलग अलग विभागों और निगमों में दैनिक वेतनभोगी, संविदा, और वर्कचार्ज के रूप में काम कर रहे 4000 से ज्यादा कर्मचारियों को नियमित करने का फायदा मिलेगा। हालांकि, उपनल और अन्य एजेंसियों के माध्यम से आउटसोर्स पर रखे गए कर्मचारी इस प्रक्रिया के दायरे में नहीं आएंगे।

 

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