
Up Kiran, Digital Desk: बिहार (Bihar) की राजनीति में इस समय विधानसभा चुनाव को लेकर ज़बरदस्त गहमागहमी है। यहाँ दो बड़े गठबंधनों (NDA और महागठबंधन) का कब्ज़ा रहा है। लेकिन अब इन दोनों की परेशानी बढ़ने वाली है क्योंकि ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) पार्टी के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने एक बहुत बड़ा ऐलान (Announcement) किया है।
AIMIM ने साफ़ कर दिया है कि वे राज्य की 243 सीटों में से अकेले 100 सीटों (100 Seats) पर अपना उम्मीदवार उतारेंगे, और बिहार की जनता को इन दो पारंपरिक राजनीतिक दलों से एक 'तीसरा और बेहतर विकल्प' (Third Alternative) देंगे।
AIMIM का यह 'बड़ा दांव' क्यों है: किसी भी नई पार्टी के लिए 100 सीटों पर चुनाव लड़ना सिर्फ सीटों की संख्या तक सीमित नहीं है, यह AIMIM की मज़बूत रणनीति को दिखाता है। ओवैसी का तर्क है कि राज्य के पिछड़े इलाकों में विकास नहीं हो पाया है और लोगों को एक ऐसा विकल्प चाहिए जो ज़मीन से जुड़े मुद्दों की बात करे। उनका दावा है कि पारंपरिक पार्टियों ने हमेशा से वोट तो लिया है, लेकिन उन्होंने पिछड़े (Backward) लोगों और ज़रूरतमंदों की ज़रूरतों को कभी पूरा नहीं किया।
रणनीतिक फोकस: माना जा रहा है कि AIMIM का पूरा ध्यान सीमांचल, किशनगंज और मुस्लिम बहुल उन सीटों पर रहेगा जहाँ से यह किसी भी बड़े दल को तगड़ा झटका दे सकते हैं।
'तीसरा विकल्प': पार्टी का मानना है कि अब मतदाता भी थक चुके हैं और वे खुद चाहते हैं कि कोई नई ताकत बिहार की राजनीति में आ सके, जो जातिगत मुद्दों से ऊपर उठकर विकास की बात करे।
यह स्पष्ट है कि ओवैसी की पार्टी का इस तरह बड़े स्तर पर उतरना आरजेडी-जेडीयू और बीजेपी (BJP) दोनों के ही वोट बैंक में बड़ी सेंध लगा सकता है, जिससे बिहार चुनाव के परिणाम अप्रत्याशित (Unpredictable) हो सकते हैं।