img

Up kiran,Digital Desk : बस्तर के घने जंगल एक बार फिर गोलियों की तड़तड़ाहट से गूंज उठे हैं। दंतेवाड़ा और बीजापुर की सीमा पर बसे केशकुतुल के जंगलों में सुबह से ही सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच एक बड़ी मुठभेड़ चल रही है। खबरें आ रही हैं कि इस एनकाउंटर में कई बड़े नक्सली ढेर हो गए हैं, लेकिन अभी तक कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। दोनों तरफ से रुक-रुककर फायरिंग जारी है और पूरा इलाका छावनी में तब्दील हो गया है।

15 दिन की 'शांति' के बाद यह बड़ा एक्शन क्यों?

इस बड़ी मुठभेड़ के पीछे एक बड़ी कहानी है। दरअसल, पिछले 15 दिनों से सुरक्षाबलों ने जंगलों में एक तरह की 'शांति' बना रखी थी। बड़े ऑपरेशन रोक दिए गए थे, क्योंकि खुफिया एजेंसियों को खबर थी कि नक्सली बटालियन के कुछ बड़े कमांडर जैसे बारसे देवा, पापाराव और केसा हथियार डालने पर विचार कर रहे हैं।

सुरक्षाबल उन्हें सरेंडर करने के लिए एक सुरक्षित और अच्छा माहौल देना चाहते थे। हाल ही में एक बड़े कमांडर, चैतू उर्फ श्याम दादा, ने अपने 10 साथियों के साथ सरेंडर भी किया था, जिससे नक्सलियों का दरभा डिवीजन काफी कमजोर हो गया था। इसी से उम्मीद जगी थी कि बाकी नक्सली भी मुख्यधारा में लौट आएंगे।

जब टूट गया 'भरोसे' का धागा

एजेंसियों ने 15 दिनों तक इंतज़ार किया। जंगलों में कोई बड़ी गतिविधि नहीं की गई ताकि देवा और बाकी नक्सली बिना डरे बाहर आ सकें। लेकिन जब बटालियन की तरफ से कोई जवाब नहीं आया और सरेंडर के लिए बनाया गया संपर्क टूट गया, तो यह 'शांति' का दौर खत्म हो गया।

इसके बाद एजेंसियों ने एक बार फिर अपने जॉइंट ऑपरेशन को तेज करने के निर्देश दिए, और आज सुबह की यह मुठभेड़ उसी का नतीजा है।

क्यों बिखर रहा है नक्सलियों का किला?

बस्तर के आईजी सुंदरराज पी. कहते हैं कि नक्सली अब अपनी ही खोखली विचारधारा से परेशान हो चुके हैं। वे समझ गए हैं कि इस रास्ते पर सिर्फ मौत है। चैतू जैसे बड़े कमांडर का सरेंडर करना इसी बात का सबूत है। चैतू ने खुद बताया था कि वह कॉलेज के दिनों में ही नक्सलियों के संपर्क में आ गया था और 1985 से इस अंधेरी दुनिया का हिस्सा था