Up kiran,Digital Desk : भारत के जंगलों से एक ऐसी खबर आई है, जिस पर हर देशवासी का सीना गर्व से चौड़ा हो जाएगा। याद है वो दिन, जब 70 साल के लंबे इंतज़ार के बाद भारत की धरती पर चीतों ने दोबारा कदम रखा था? तब कई लोगों ने इस पर सवाल उठाए थे, लेकिन आज भारत ने उन सभी आशंकाओं को गलत साबित कर दिया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद इस बड़ी कामयाबी पर सभी देशवासियों और वन्यजीव प्रेमियों को बधाई दी है। यह मौका भी खास था - 'अंतरराष्ट्रीय चीता दिवस'।
क्या कहा प्रधानमंत्री मोदी ने?
PM मोदी ने सोशल मीडिया पर अपनी खुशी ज़ाहिर करते हुए लिखा कि तीन साल पहले शुरू हुआ 'प्रोजेक्ट चीता' सिर्फ इन शानदार जानवरों को बचाने का मिशन नहीं था, बल्कि यह हमारे जंगलों के उस माहौल को फिर से ज़िंदा करने का एक प्रयास था, जिसमें चीते फल-फूल सकें।
उन्होंने सबसे बड़ी खुशखबरी साझा करते हुए लिखा, "सबसे ज़्यादा खुशी की बात यह है कि आज भारत कई चीतों का घर है और इनमें से कई तो इसी भारतीय धरती पर ही जन्मे हैं।"
दुनिया को दिया भारत आने का न्योता
प्रधानमंत्री ने इस सफलता को भारत की पर्यावरण विरासत और जैव-विविधता के लिए एक बड़ी जीत बताया। उन्होंने आगे कहा कि यह देखकर भी बहुत खुशी होती है कि अब भारत में 'चीता टूरिज्म' लोकप्रिय हो रहा है।
उन्होंने पूरी दुनिया के वन्यजीव प्रेमियों को एक खुला निमंत्रण देते हुए कहा, "मैं दुनिया भर के लोगों को भारत आने और चीतों को उनकी पूरी शान में देखने के लिए प्रोत्साहित करता हूं।"
0 से 32 तक का शानदार सफर
- सितंबर 2022: नामीबिया से 8 चीतों को मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क लाया गया।
- फरवरी 2023: दक्षिण अफ्रीका से 12 और चीते भारत पहुंचे।
हां, यह सच है कि शुरुआत में कुछ चीते यहां के माहौल में ढल नहीं पाए और उनकी जान चली गई, जिससे प्रोजेक्ट पर सवाल भी उठे। लेकिन इसके बावजूद भारत की यह पहल ऐतिहासिक रूप से सफल रही।
आज की तारीख में, भारत के जंगलों में कुल 32 चीते हैं, जिनमें से 21 शावकों (बच्चों) ने इसी देश की मिट्टी पर जन्म लिया है। सबसे ताज़ा खुशखबरी तो यह है कि भारत में जन्मी 'मुखी' नाम की एक मादा चीता ने इसी साल नवंबर में 5 स्वस्थ बच्चों को जन्म दिया है।
यह सिर्फ चीतों की वापसी नहीं है; यह इस बात का सबूत है कि जब भारत कुछ करने की ठान लेता है, तो उसे पूरा करके ही दम लेता है।
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