
Up Kiran, Digital Desk: रूस और उत्तर कोरिया के बीच बढ़ती नज़दीकियों के बीच, रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव इस हफ़्ते के अंत में उत्तर कोरिया की यात्रा पर जाएंगे। यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब दोनों देश पश्चिमी देशों के बढ़ते दबाव और प्रतिबंधों का सामना कर रहे हैं, और यह वैश्विक भू-राजनीति में एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम माना जा रहा है।
पुतिन-किम शिखर वार्ता के बाद पहला उच्च-स्तरीय दौरा
लावरोव का यह दौरा पिछले साल सितंबर में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन के बीच हुई ऐतिहासिक शिखर वार्ता के बाद पहला उच्च-स्तरीय दौरा है। उस मुलाकात के बाद से दोनों देशों के बीच सैन्य सहयोग और व्यापार में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है, जिसने पश्चिमी देशों, विशेषकर संयुक्त राज्य अमेरिका और उसके सहयोगियों की चिंताएं बढ़ा दी हैं।
दौरे का एजेंडा और भू-राजनीतिक निहितार्थ
रूसी विदेश मंत्रालय ने एक बयान में बताया कि लावरोव उत्तर कोरियाई विदेश मंत्री चो सोन हुई के निमंत्रण पर प्योंगयांग का दौरा करेंगे। इस यात्रा के दौरान, दोनों शीर्ष राजनयिक द्विपक्षीय संबंधों के विभिन्न पहलुओं, क्षेत्रीय मुद्दों और अंतरराष्ट्रीय स्थिति पर विस्तृत चर्चा करेंगे। रूसी मीडिया के अनुसार, इस दौरे का मुख्य उद्देश्य दोनों देशों के बीच संबंधों को और मजबूत करना है, खासकर सुरक्षा और आर्थिक क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाना।
पश्चिमी देश इस बढ़ती साझेदारी को लेकर बेहद चिंतित हैं। उनका मानना है कि उत्तर कोरिया यूक्रेन में रूस के युद्ध प्रयासों के लिए गोला-बारूद और हथियार मुहैया करा रहा है, जबकि रूस बदले में उत्तर कोरिया को उसके मिसाइल और परमाणु कार्यक्रमों के लिए तकनीकी सहायता दे सकता है। यह दौरा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य (रूस) द्वारा एक ऐसे देश (उत्तर कोरिया) का दौरा है जिस पर उसके परमाणु हथियार कार्यक्रमों के लिए कई अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लगे हुए हैं। यह कदम इन प्रतिबंधों की उपेक्षा और पश्चिमी प्रभुत्व को चुनौती देने के दोनों देशों के इरादों को दर्शाता है।
लावरोव का यह दौरा वैश्विक भू-राजनीति में एक स्पष्ट संकेत है कि रूस और उत्तर कोरिया मिलकर अंतरराष्ट्रीय दबाव का सामना करने और अपने-अपने हितों को आगे बढ़ाने के लिए करीब आ रहे हैं। यह एक बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था बनाने के रूस के प्रयासों का भी हिस्सा है।
--Advertisement--