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Up Kiran, Digital Desk: भारतीय विमानन इतिहास के सबसे दर्दनाक हादसों में से एक, 22 मई 2010 का वो काला दिन, जब एयर इंडिया एक्सप्रेस की फ्लाइट 812 मंगलुरु (अब मंगलुरु) हवाई अड्डे पर दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी। दुबई से आ रहा बोइंग 737-800 विमान रनवे से आगे निकल गया और घाटी में जा गिरा, जिसके बाद उसमें भीषण आग लग गई। इस भयावह हादसे में 158 लोगों की जान चली गई थी, जबकि चमत्कारिक रूप से केवल 8 यात्री ही जीवित बचे।

यह त्रासदी न केवल भारत के लिए बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक बड़ा सदमा थी। हादसे के तुरंत बाद, बचाव और राहत कार्य शुरू किया गया, जो अत्यंत चुनौतीपूर्ण था, क्योंकि विमान पहाड़ी ढलान पर गिरा था और आसपास घनी झाड़ियाँ थीं। मलबे का ढेर और जलता हुआ विमान, उस भयावह दृश्य को बयां कर रहे थे, जिसे देखकर किसी की भी रूह काँप जाए।

इस भीषण हादसे की गुत्थी सुलझाने के लिए गहन जांच शुरू हुई, जिसमें 'ब्लैक बॉक्स' (कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर और फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर) की तलाश सबसे अहम थी। दुर्घटना के मलबे से ब्लैक बॉक्स का मिलना जांच के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ, क्योंकि इसमें पायलटों के बीच हुई अंतिम बातचीत और विमान के तकनीकी डेटा दर्ज थे।

 इन रिकॉर्ड्स से पता चला कि पायलट नींद की कमी और थकान के कारण फोकस नहीं कर पा रहा था और रनवे पर उतरते समय उसने कई गलतियाँ कीं। कॉकपिट के अंदर की 'चौंकाने वाली' तस्वीरें, जो बाद में सामने आईं, दुर्घटना की भयावहता और विमान पर उसके प्रभाव को स्पष्ट रूप से दर्शाती थीं।

जांच रिपोर्ट में बाद में सामने आया कि यह हादसा मुख्य रूप से पायलट की त्रुटि, अत्यधिक थकान और रनवे पर उतरने के दौरान 'गो-अराउंड न करने के गलत निर्णय के कारण हुआ था। मंगलुरु हवाई अड्डे के टेबलटॉप रनवे की भौगोलिक स्थिति भी इस हादसे का एक कारण बनी।

यह हादसा भारतीय विमानन सुरक्षा के इतिहास में एक महत्वपूर्ण सबक बन गया। इसके बाद हवाई अड्डों, खासकर टेबलटॉप रनवे वाले हवाई अड्डों पर सुरक्षा मानकों को कड़ा किया गया और पायलटों की थकान प्रबंधन को लेकर नए नियम बनाए गए। इन 'अनदेखी' तस्वीरों के माध्यम से, हम न केवल उस त्रासदी की भयावहता को समझते हैं, बल्कि उन प्रयासों को भी याद करते हैं जो ऐसी घटनाओं को भविष्य में रोकने के लिए किए गए हैं, ताकि ऐसी जानलेवा दुर्घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।

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