
Up Kiran, Digital Desk: केंद्र सरकार ने अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के आरक्षण में 'क्रीमी लेयर' (creamy layer) के आय बहिष्करण (income exclusion) के मानदंड को विभिन्न सरकारी इकाइयों, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (PSUs), विश्वविद्यालयों और यहां तक कि निजी क्षेत्र के कर्मचारियों पर भी लागू करने के लिए एक प्रस्ताव तैयार करने की योजना बनाई है। द इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस प्रस्ताव को अंतिम रूप देने के लिए कई मंत्रालयों और आयोगों से सलाह-मशविरा किया जा रहा है।
किन-किन पर लागू हो सकता है नया नियम?
इस प्रस्ताव के तहत, 'क्रीमी लेयर' के आय मानदंड को निम्नलिखित पर लागू करने पर विचार किया जा रहा है:
केंद्रीय और राज्य सरकार के विभिन्न विभाग: सरकारी नौकरियों में आरक्षण का लाभ उन OBC वर्गों तक सीमित रखना जो आर्थिक रूप से कमजोर नहीं हैं।
सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (PSUs): सरकारी कंपनियों में भी क्रीमी लेयर को बाहर रखा जा सकता है।
विश्वविद्यालय और शैक्षणिक संस्थान: उच्च शिक्षा में OBC आरक्षण के लाभ में भी यह बहिष्करण लागू हो सकता है।
निजी क्षेत्र के कर्मचारी: यह सबसे महत्वपूर्ण बदलाव होगा, क्योंकि अब तक निजी क्षेत्र में 'क्रीमी लेयर' का कोई विशेष प्रावधान नहीं था।
'क्रीमी लेयर' क्या है?
'क्रीमी लेयर' का मतलब OBC समुदाय के उन सदस्यों से है जो आर्थिक और सामाजिक रूप से इतने संपन्न हैं कि उन्हें आरक्षण के लाभ की आवश्यकता नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने 1992 के इंद्रा साहनी मामले (Indra Sawhney case) में OBC के लिए 27% आरक्षण को बरकरार रखा था, लेकिन यह भी कहा था कि 'क्रीमी लेयर' को इस लाभ से बाहर रखा जाना चाहिए। कोर्ट ने यह भी तय किया था कि आरक्षण की सीमा 50% से अधिक नहीं होनी चाहिए, सिवाय असाधारण परिस्थितियों के।
प्रस्ताव के पीछे का उद्देश्य
सरकार का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि OBC आरक्षण का लाभ उन लोगों तक पहुंचे जो वास्तव में वंचित हैं और जिन्हें इसकी सबसे अधिक आवश्यकता है। 'क्रीमी लेयर' को शामिल करने से आरक्षण के लाभ का अधिक न्यायसंगत वितरण संभव होगा।
किन मंत्रालयों से ली जा रही है सलाह?
इस प्रस्ताव को तैयार करने के लिए सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय, शिक्षा मंत्रालय, कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (DoPT), विधि कार्य विभाग, श्रम और रोजगार, लोक उद्यम, नीति आयोग (NITI Aayog) और राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (NCBC) से परामर्श किया जा रहा है
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