Up Kiran, Digital Desk: इस साल का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण चंद्र ग्रहण 7 सितंबर को लगने वाला है। यह एक पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा, यानी इस दौरान चंद्रमा पूरी तरह से पृथ्वी की छाया में ढक जाएगा, जिससे उसका रंग गहरा लाल या तांबे जैसा हो सकता है। सबसे ख़ास बात यह है कि यह खगोलीय घटना पूरे भारत में दिखाई देगी और इसका प्रभाव लगभग 4 घंटे तक रहेगा।
ज्योतिष की दुनिया में चंद्र ग्रहण को एक बड़ी घटना माना जाता है। कहते हैं कि इसका असर सीधे तौर पर लोगों के मन और जीवन पर पड़ता है। इस बार का ग्रहण भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष में लग रहा है, जो इसे और भी ख़ास बना देता है। ज्योतिषियों का मानना है कि इस दौरान कुछ सावधानियां बरतनी बहुत ज़रूरी हैं।
क्या है ग्रहण का सही समय?
ग्रहण शुरू होने का समय: 7 सितंबर की रात 11:09 PM से।
ग्रहण का मध्यकाल (चरम): रात 11:42 PM पर, जब चंद्रमा पूरी तरह पृथ्वी की छाया में होगा।
ग्रहण समाप्त (मोक्ष): देर रात 1:26 AM पर ग्रहण समाप्त होगा।
सूतक काल कब से होगा शुरू:धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, चंद्र ग्रहण का सूतक काल ग्रहण शुरू होने से ठीक 9 घंटे पहले लग जाता है।
सूतक लगने का समय: 7 सितंबर की रात 9:57 PM से सूतक काल शुरू हो जाएगा।
सूतक काल के दौरान किसी भी तरह के शुभ काम, जैसे पूजा-पाठ, खाना बनाना या खाना खाने की मनाही होती है। इस समय को ध्यान और मंत्र जाप के लिए सबसे अच्छा माना जाता है।
किन बातों का रखें ख़ास ध्यान?
ग्रहण काल को ज्योतिष में एक संवेदनशील समय माना जाता है। इस दौरान कुछ बातों का ख़ास ख़याल रखने की सलाह दी जाती है:
गर्भवती महिलाएं: सबसे ज़्यादा सावधानी गर्भवती महिलाओं को बरतने के लिए कहा जाता है। उन्हें ग्रहण के समय घर के अंदर ही रहने की सलाह दी जाती है।
कुछ भी खाने-पीने से बचें: सूतक काल शुरू होने के बाद से ग्रहण ख़त्म होने तक कुछ भी खाने-पीने से बचना चाहिए।
भगवान का ध्यान करें: ग्रहण के दौरान अपने ईष्टदेव का ध्यान करें या मंत्रों का जाप करें।
ग्रहण के बाद स्नान करें: ग्रहण समाप्त होने के बाद स्नान करना बहुत ज़रूरी माना जाता है। इससे ग्रहण का नकारात्मक प्रभाव ख़त्म हो जाता है।
यह ग्रहण भारत के अलावा यूरोप, एशिया, अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया में भी दिखाई देगा। विज्ञान के लिए यह एक खूबसूरत खगोलीय घटना है, तो ज्योतिष के लिए यह बदलाव और नई ऊर्जा का प्रतीक है।
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