
एक तरफ पाकिस्तान आर्थिक संकट से जूझ रहा है, वहीं अब अमेरिका ने उसके परमाणु मिसाइल कार्यक्रम को लेकर कड़ा रुख अपना लिया है। अमेरिकी वाणिज्य विभाग के उद्योग और सुरक्षा ब्यूरो ने पाकिस्तान की कई कंपनियों को निगरानी सूची में डाल दिया है। इन कंपनियों पर असुरक्षित परमाणु गतिविधियों में संलिप्त होने का आरोप है।
अमेरिका को राष्ट्रीय सुरक्षा पर खतरे का अंदेशा
इन कंपनियों को अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति के लिए संभावित खतरा बताया गया है। अमेरिकी नियमों के तहत निगरानी सूची में शामिल कंपनियों के साथ किसी भी प्रकार का व्यापार करना कठिन हो जाता है और इन पर सख्त निर्यात नियंत्रण लागू हो जाते हैं। यह कदम अमेरिका के निर्यात प्रशासन विनियमों (EAR) के तहत लिया गया है।
इन पाकिस्तानी कंपनियों को किया गया सूचीबद्ध
अमेरिका की निगरानी सूची में शामिल कुछ प्रमुख पाकिस्तानी कंपनियों में शामिल हैं:
ब्रिटलाइट इंजीनियरिंग
इंटेनटेक इंटरनेशनल
इंट्रालिंक इनकॉर्पोरेटेड
प्रोक मास्टर
रहमान इंजीनियरिंग एंड सर्विसेज
इन सभी पर आरोप है कि ये कंपनियां पाकिस्तान के बैलिस्टिक मिसाइल और परमाणु कार्यक्रम में सक्रिय रूप से भूमिका निभा रही थीं।
पाकिस्तान की प्रतिक्रिया
अमेरिकी कार्रवाई के बाद पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है। मंत्रालय के प्रवक्ता शफकत अली खान ने कहा कि यह कदम अनुचित है और इसका असर पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति और विकास योजनाओं पर पड़ेगा। उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका के इस फैसले से द्विपक्षीय संबंधों में तनाव आ सकता है।
सात अन्य कंपनियों पर भी लगे प्रतिबंध
पाकिस्तान की सात और कंपनियों को भी अमेरिका ने प्रतिबंधों के दायरे में लिया है। इन कंपनियों पर आरोप है कि इन्होंने पाकिस्तान के बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम को समर्थन और तकनीकी मदद दी। इससे साफ होता है कि अमेरिका इस मुद्दे पर किसी भी तरह की ढिलाई बरतने को तैयार नहीं है।
पहले भी हो चुकी है ऐसी कार्रवाई
यह पहली बार नहीं है जब अमेरिका ने पाकिस्तान की कंपनियों पर कार्रवाई की है। दिसंबर में भी अमेरिका ने पाकिस्तान के नेशनल डेवलपमेंट कॉम्प्लेक्स सहित कराची की तीन प्रमुख कंपनियों पर पाबंदी लगाई थी। उस समय अख्तर एंड संस प्राइवेट लिमिटेड, एफिलिएट्स इंटरनेशनल और रॉकसाइड एंटरप्राइज को भी अमेरिका की निगरानी सूची में डाला गया था।
क्या हो सकता है आगे?
अमेरिका का यह फैसला पाकिस्तान के लिए आर्थिक और रणनीतिक दृष्टि से बड़ा झटका है। इससे उसकी अंतरराष्ट्रीय साख और सहयोगी देशों से मिलने वाले तकनीकी समर्थन पर भी असर पड़ेगा। साथ ही, यह संदेश भी साफ है कि अगर कोई देश वैश्विक परमाणु सुरक्षा मानकों का उल्लंघन करता है, तो अमेरिका उस पर कड़ा रुख अपनाने से पीछे नहीं हटेगा।
अब यह देखना होगा कि पाकिस्तान इस स्थिति से कैसे निपटता है और क्या वह अपने परमाणु कार्यक्रम में पारदर्शिता बढ़ाने को तैयार होता है या फिर यह विवाद और गहराता है।