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Up Kiran, Digital Desk: चुनाव का मौसम हो और बिहार की राजनीति में गरमाहट न हो, ऐसा भला कैसे हो सकता है? लेकिन इस बार मुद्दा विकास या वादों का नहीं, बल्कि बिहार की आत्मा से जुड़े महापर्व 'छठ' का है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पटना में एक रैली के दौरान कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर ऐसा तीखा हमला बोला है कि पूरे प्रदेश का राजनीतिक तापमान बढ़ गया है।

मामला राहुल गांधी के एक कथित बयान से जुड़ा है, जिस पर अमित शाह ने कड़ी आपत्ति जताई है।

अमित शाह ने ऐसा क्या कहा?

पटना की एक विशाल जनसभा को संबोधित करते हुए अमित शाह अपने पूरे रंग में थे। उन्होंने गरजते हुए कहा, "कांग्रेस के शहजादे राहुल गांधी पूछते हैं कि बिहार और पूर्वांचल के लोग समुद्र किनारे छठ क्यों मनाते हैं। उन्हें हमारी संस्कृति का 'क ख ग' भी नहीं पता। वो क्या जानें कि छठ हमारे लिए क्या मायने रखता है!"

अमित शाह यहीं नहीं रुके। उन्होंने इसे सीधे-सीधे बिहार और करोड़ों पूर्वांचलियों की आस्था पर हमला बताया। उन्होंने कहा, "ये सिर्फ छठ पूजा का अपमान नहीं है, ये भगवान सूर्य का अपमान है, ये हमारी नदियों का अपमान है, और ये उन करोड़ों मां-बहनों का अपमान है जो भूखी-प्यासी रहकर अपने परिवार के लिए यह कठिन व्रत रखती हैं। बिहार की जनता इस अपमान का बदला वोट से लेगी।"

क्यों मचा है इस बयान पर बवाल?

छठ पूजा बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश के लोगों के लिए सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि एक भावना है, एक पहचान है। यह पर्व प्रकृति की पूजा और कठिन तपस्या का प्रतीक है। देश-दुनिया के किसी भी कोने में रहने वाला पूर्वांचल का व्यक्ति छठ के मौके पर अपनी जड़ों से जुड़ जाता है।

ऐसे में, छठ को लेकर दिया गया कोई भी बयान, चाहे उसका संदर्भ कुछ भी हो, बेहद संवेदनशील हो जाता है। अमित शाह ने इसी दुखती रग पर हाथ रखकर राहुल गांधी और 'इंडी गठबंधन' को बिहार की संस्कृति और परंपराओं का विरोधी बताने की कोशिश की है।

उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस और उसके सहयोगी दल हमेशा से सनातन संस्कृति का अपमान करते आए हैं और छठ पर दिया गया यह बयान उसी मानसिकता का प्रतीक है।

इस चुनावी माहौल में, अमित शाह का यह बयान एक बड़े राजनीतिक हथियार के तौर पर देखा जा रहा है। अब देखना यह होगा कि क्या यह 'आस्था' का मुद्दा, बाकी सभी चुनावी वादों पर भारी पड़ता है या नहीं।