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Up Kiran, Digital Desk: आंध्र प्रदेश की राजनीति में एक अनोखा और सराहनीय नज़ारा देखने को मिला! मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने सत्य साईं जिले में आयोजित एक 'मेगा PTM' (पेरेंट्स-टीचर्स मीटिंग) में हिस्सा लिया। इस दौरान उन्होंने सिर्फ अभिभावकों या शिक्षकों से ही नहीं, बल्कि सीधे विद्यार्थियों से भी बातचीत की, उनके अनुभवों को जाना और उन्हें प्रेरित किया। यह कदम शिक्षा और छात्रों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

'मेगा PTM' की यह पहल पारंपरिक अभिभावक-शिक्षक बैठकों से कहीं बढ़कर थी, जहां मुख्यमंत्री ने स्वयं उपस्थित होकर छात्रों से सीधे संवाद स्थापित किया। उन्होंने बच्चों से उनके सपनों, पढ़ाई में आने वाली चुनौतियों और भविष्य की योजनाओं के बारे में पूछा। बच्चों ने भी खुलकर अपनी बातें रखीं, जिससे एक सहज और सकारात्मक माहौल बना।

चंद्रबाबू नायडू का यह अंदाज़ न केवल छात्रों और शिक्षकों का मनोबल बढ़ाएगा, बल्कि शिक्षा क्षेत्र में उनकी सरकार की प्राथमिकताओं को भी उजागर करेगा। मुख्यमंत्री ने शायद इस मौके का उपयोग शिक्षा प्रणाली में सुधारों और छात्रों के भविष्य को उज्ज्वल बनाने के लिए सरकार की योजनाओं को भी उजागर करने के लिए किया होगा। उनका मानना है कि युवाओं को सशक्त बनाना ही राज्य के भविष्य को मज़बूत करेगा।

इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में अभिभावक, शिक्षक और छात्र मौजूद थे। मुख्यमंत्री ने यह संदेश देने की कोशिश की है कि शिक्षा केवल पाठ्यक्रम पढ़ाने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह छात्रों के सर्वांगीण विकास और उन्हें भविष्य के लिए तैयार करने के बारे में भी है।

चंद्रबाबू नायडू का बच्चों के साथ इस तरह सीधे जुड़ना उनके नेतृत्व की एक नई छवि पेश करता है और यह दिखाता है कि वह ज़मीनी स्तर पर शिक्षा और युवा पीढ़ी के मुद्दों को कितनी गंभीरता से लेते हैं। यह एक ऐसी पहल है जो अन्य राज्यों के नेताओं के लिए भी एक मिसाल बन सकती है।

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