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Up Kiran, Digital Desk: समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री आज़म खान को इलाहाबाद उच्च न्यायालय से ज़मीन कब्जे के एक पुराने मामले में बड़ी राहत मिली है। हाईकोर्ट ने आज़म खान को ज़मानत दे दी है, जिससे उनकी जेल से रिहाई का रास्ता साफ हो गया है। कोर्ट के इस फैसले को सपा समर्थकों ने "न्याय की जीत" बताया है।

क्या है पूरा मामला?

रामपुर के सिविल लाइंस थाने में एक प्राथमिकी दर्ज हुई थी जिसमें कथित रूप से 'क्वालिटी बार' ज़मीन पर कब्जा करने का आरोप लगाया गया था। पहले एफआईआर में आज़म खान का नाम नहीं था, लेकिन 5 साल बाद दोबारा जांच हुई और उन्हें आरोपी बना दिया गया।

इसके खिलाफ आज़म खान ने इलाहाबाद हाईकोर्ट का रुख किया और अदालत ने 21 अगस्त को सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। अब न्यायमूर्ति समीर जैन की एकल पीठ ने उन्हें ज़मानत दे दी है।

2008 के केस में भी मिली बरी

मंगलवार को एमपी-एमएलए कोर्ट ने 17 साल पुराने एक मामले में आज़म खान को बरी कर दिया। उन पर सड़क जाम और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का आरोप था। मामला 2008 का है, जब कथित तौर पर पुलिस द्वारा हूटर हटाने पर खान ने समर्थकों के साथ प्रदर्शन किया था।

बचाव पक्ष के वकील शाहनवाज़ सिब्तैन नक़वी ने बताया कि उन्होंने 7 गवाह पेश किए, जबकि अभियोजन पक्ष एक ही गवाह पेश कर सका। कोर्ट ने सबूतों की कमी के चलते खान को बरी कर दिया

रामपुर बेदखली केस में भी मिली ज़मानत

10 सितंबर को एक और बड़ी राहत मिली, जब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उन्हें डूंगरपुर कॉलोनी बेदखली केस में भी ज़मानत दी। खान ने सांसद/विधायक अदालत की ओर से सुनाई गई 10 साल की सज़ा को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।