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बाबरनामा नामक पुस्तक बाबर की आत्मकथा है। उसमें उसके कई निजी मामलों का उल्लेख है। भारत में मुगल साम्राज्य की नींव रखने वाले बाबर को इस किताब में समलैंगिक कहा गया है। बाबर ने अपने समलैंगिक मित्रों के लिए कई कविताएँ लिखीं। इसके अलावा उसकी एक बहुत करीबी महिला मित्र थी।
बाबर ने उसे पहले बाजार में देखा और देखता रहा। उसका नाम बाबरी था। बाबर को विवाहित जीवन में कोई खास रुचि नहीं थी। उसकी पत्नी आयशा ने शादी के बाद एक बेटी को जन्म दिया।
बाबर की बेटी की मृत्यु तब हुई जब वह मात्र 40 दिन की थी। इस सदमे में बाबर ने अपनी पत्नी को खुद से अलग कर दिया और एकांत में रहने लगा। बाबर 14 साल की उम्र में बाबरी से मिलने के बाद उसकी ओर आकर्षित हो गया था। बाबरनामा में लिखा है कि मैं उस लड़के के लिए पागल हो गया था।
समय के साथ बाबर का महिलाओं के प्रति आकर्षण कम हो गया। वह बाबरी से इतना प्यार करता था कि अंततः उसे बेगम से तलाक लेना पड़ा। बाबर ने बाबरी को घोड़े की सवारी करना सिखाया और उसे अस्तबल की जिम्मेदारी सौंपी। जब बाबरी की मृत्यु हुई, तब मुगल साम्राज्य अवध की ओर फैल रहा था।
जब सन् 1528 में अयोध्या में मस्जिद का निर्माण हुआ तो बाबर ने अपने सेनापति को इसकी सूचना दी और उससे मस्जिद का नाम बाबरी रखने को कहा।
नोट- उपरोक्त बातें सामान्य जानकारी पर आधारित है। हमारी टीम इसका समर्थन नहीं करती है।