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Up Kiran, Digital Desk: करवा चौथ, भारत के सबसे खास त्योहारों में से एक, शुक्रवार 10 अक्टूबर 2025 को बड़े धूमधाम से मनाया जाएगा। यह त्योहार विवाहित हिंदू महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है। पूरा दिन व्रत रखकर महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और खुशहाली की कामना करती हैं। इस व्रत का पहला कदम होता है ‘सरगी’—एक खास भोर का भोजन जिसे वे सूर्योदय से पहले ग्रहण करती हैं।
सरगी क्या होती है? यह भोजन आमतौर पर सास अपनी बहू के लिए प्यार से बनाती है। इसमें फल, सूखे मेवे, मिठाइयाँ और हल्के पराठे या पोहे होते हैं। ये सारे खाद्य पदार्थ दिनभर व्रत रखने के लिए जरूरी ऊर्जा और पोषण देते हैं।
सरगी केवल भोजन नहीं है, बल्कि यह सास और बहू के रिश्ते में प्यार और सम्मान का प्रतीक भी है। आज के समय में तो कई महिलाएं, जो परिवार से दूर रहती हैं या अविवाहित हैं, भी इसे एक सांस्कृतिक और आध्यात्मिक प्रतीक के रूप में अपनाती हैं।
करवा चौथ की सुबह बहुत जल्दी शुरू होती है। महिलाएं लगभग 3:30 से 4 बजे उठकर स्नान करती हैं, और साफ-सुथरे कपड़े पहनकर परिवार के साथ सरगी खाती हैं। इसके बाद वे पूरा दिन चंद्रमा के दर्शन तक बिना पानी और भोजन के व्रत रखती हैं। शाम को चाँद दिखते ही व्रत तोड़ा जाता है।
सरगी की थाली को पारंपरिक रूप से सजाया जाता है। इसमें सिर्फ खाना ही नहीं, बल्कि दीपक, सिंदूर और चूड़ियाँ भी रखी जाती हैं। यह एक तरह से बहू के लिए सास का आशीर्वाद होता है।
आजकल, आधुनिक जीवनशैली के चलते सरगी भी बदली है। कई महिलाएं ओट्स, स्मूदी, दही के कटोरे और हेल्दी स्नैक्स का विकल्प चुनती हैं। विदेश में रहने वाली महिलाएं वीडियो कॉल के जरिए अपनी सरगी साझा करती हैं और त्योहार का जश्न मनाती हैं।