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Up Kiran, Digital Desk:  कहते हैं कि सच्चा दोस्त वही होता है जो आपके दुख में आपके साथ खड़ा हो। भारत के सबसे करीबी और सच्चे दोस्त, भूटान ने इस कहावत को एक बार फिर सच कर दिखाया है। जब दिल्ली आतंकी हमले के जख्मों से कराह रहा है, तब हिमालय की गोद में बसे इस छोटे से देश ने जो किया  वो हर भारतीय के दिल को छू जाएगा।

दिल्ली धमाके में मारे गए निर्दोष लोगों की आत्मा की शांति के लिए, भूटान के राजा जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक खुद प्रार्थना सभा में शामिल हुए। और सिर्फ राजा ही नहीं, उनके साथ हजारों भूटानी नागरिक, बौद्ध भिक्षु और शाही परिवार के सदस्य भी इस दुख की घड़ी में भारत के साथ खड़े नजर आए।

जब हजारों दीयों की रोशनी से दूर हुआ नफरत का अंधेरा

थिम्पू के सबसे पवित्र और ऐतिहासिक स्थानों में से एक, कुएनफेनला ल्हखांग में इस विशेष प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया। यहां का माहौल बेहद भावुक था। हजारों घी के दीये (butter lamps) जलाए गए, जिनकी रोशनी नफरत के अंधेरे को चीरकर दोस्ती और शांति का पैगाम दे रही थी।

भूटान के महामहिम राजा और रानी ने व्यक्तिगत रूप से दीये जलाकर प्रार्थना की। उनके साथ रॉयल भूटान पुलिस, सशस्त्र बल के प्रमुख और भारत के राजदूत सुधाकर दलेला भी इस प्रार्थना सभा में शामिल हुए। यह सिर्फ एक औपचारिक कार्यक्रम नहीं था, बल्कि यह भूटान के लोगों की तरफ से भारत के लोगों के लिए भेजा गया एक खामोश लेकिन बेहद ताकतवर संदेश था इस मुश्किल वक्त में आप अकेले नहीं हैं, हम आपके साथ हैं।

क्या है कुएनफेनला ल्हखांग?

यह कोई साधारण मंदिर नहीं है। यह वही जगह है जहां भूटान के चौथे राजा, यानी वर्तमान राजा के पिता का दाह संस्कार किया गया था। भूटान में इस जगह को बहुत ही पवित्र और महत्वपूर्ण माना जाता है। इतने अहम स्थान पर दिल्ली धमाके के पीड़ितों के लिए प्रार्थना सभा का आयोजन करना यह दिखाता है कि भूटान भारत के इस दर्द को कितनी गहराई से महसूस कर रहा है।

भूटान के इस कदम ने एक बार फिर दुनिया को दिखा दिया है कि भारत और भूटान का रिश्ता सिर्फ राजनीतिक या कूटनीतिक नहीं है, बल्कि यह दिलों का रिश्ता है, दोस्ती का रिश्ता है। एक ऐसे समय में जब दुनिया में नफरत और हिंसा बढ़ रही है, भूटान का यह प्यार और करुणा का संदेश किसी मरहम से कम नहीं है। भारत अपने इस दोस्त का यह कर्ज शायद ही कभी चुका पाएगा।