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Up Kiran, Digital Desk: बिहार की राजनीति में हाल के दिनों में बड़ा उलटफेर हुआ है। विधानसभा चुनावों से ठीक पहले भाजपा को एक बड़ा झटका देते हुए तीन प्रमुख कुशवाहा नेता राजद का हिस्सा बन गए हैं। इन नेताओं का कहना है कि वे लालू प्रसाद यादव के विचारों और तेजस्वी यादव की नीतियों से प्रभावित होकर इस पार्टी से जुड़े हैं।

भाजपा के नेता अब राजद में

राजद में शामिल होने वाले भाजपा के नेता वे हैं जो समाज में अपनी मजबूत पहचान बना चुके हैं। इसमें वरिष्ठ भाजपा नेता वीरेन्द्र प्रसाद कुशवाहा, प्रेमचंद कुशवाहा और रवीन्द्र प्रसाद कुशवाहा शामिल हैं। इनके अलावा जयराम प्रसाद, दरोगा राम और ललन प्रसाद जैसे नेता भी अपने समर्थकों के साथ राजद में शामिल हुए। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष कुमर राय और प्रवक्ता एजाज अहमद ने इन नेताओं का गर्मजोशी से स्वागत किया। कुमर राय ने कहा कि यह बदलाव समाज के हर तबके के नेताओं को आकर्षित कर रहा है, खासकर उन शिक्षकों और नेताओं को जो भाजपा की नीतियों से असहमत हैं। उन्होंने यह भी कहा कि तेजस्वी यादव के रोजगार, शिक्षा और सामाजिक न्याय पर आधारित दृष्टिकोण ने उन्हें इस पार्टी से जुड़ने के लिए प्रेरित किया है।

तेजस्वी यादव का हमला, केंद्र और राज्य सरकार को घेरा

विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने भाजपा और नीतीश कुमार की सरकार को निशाने पर लिया। सोशल मीडिया पर एक पोस्ट करते हुए उन्होंने दोनों सरकारों को बेरोजगारी और गरीबी के मुद्दे पर आड़े हाथों लिया। तेजस्वी ने कहा, "20 साल से बिहार और 11 साल से केंद्र में सत्ता में रहते हुए नीतीश कुमार और नरेंद्र मोदी बिहार को बेरोजगारी और पलायन से नहीं उबार पाए।"

उन्होंने बिहार की आर्थिक स्थिति पर भी सवाल उठाए। उनका कहना था कि बिहार की प्रति व्यक्ति आय अफ्रीकी देशों युगांडा और रवांडा से भी कम है। तेजस्वी ने यह भी दावा किया कि बिहार में कृषि क्षेत्र में उत्कृष्ट उत्पाद होते हुए भी खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नहीं स्थापित हो पाए हैं। इसके अलावा, उन्होंने राज्य में आईटी कंपनियों की कमी, आईटी पार्क और सेज (SEZ) के न होने पर भी चिंता जताई।

भाजपा और राजद के बीच नया समीकरण

राजद में भाजपा के इन नेताओं के शामिल होने से चुनावी समीकरण में बड़ा बदलाव आ सकता है। खासकर कुशवाहा समाज से आने वाले इन नेताओं के जुड़ने से राजद को नया सशक्त आधार मिलेगा। भाजपा को इससे संगठनात्मक स्तर पर नुकसान हो सकता है, जबकि राजद को राजनीतिक तौर पर एक मजबूत स्थिति मिल सकती है। यह घटनाक्रम आने वाले चुनावों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।