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Up Kiran, Digital Desk: उत्तराखंड की त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था में इन दिनों प्रशासनिक फेरबदल का एक महत्वपूर्ण चरण चल रहा है। हरिद्वार जिले को छोड़कर राज्य के सभी जिलों में ग्राम पंचायतों, क्षेत्र पंचायतों और जिला पंचायतों में प्रशासकों की नियुक्ति कर दी गई है। यह कदम इसलिए उठाया गया है क्योंकि निर्धारित समयसीमा में पंचायत चुनाव कराना संभव नहीं हो पाया।
क्या है पूरा मामला?
राज्य सरकार द्वारा जारी आदेश के मुताबिक ग्राम पंचायतों के प्रशासकों का कार्यकाल 27 मई 2025 को, क्षेत्र पंचायतों का 29 मई 2025 को और जिला पंचायतों का कार्यकाल 1 जून 2025 को समाप्त हो गया।
हालांकि, "अति अपरिहार्य परिस्थितियों" का हवाला देते हुए राज्य सरकार यह चुनाव समय पर आयोजित नहीं कर पाई। परिणामस्वरूप, राज्य के पंचायत ढांचे को निष्क्रिय होने से बचाने के लिए 31 जुलाई 2025 तक (या उससे पहले अगर चुनाव हो जाएं तो) प्रशासकों की तैनाती की गई है।
कितनी पंचायतों में प्रशासक तैनात किए गए
हरिद्वार को छोड़कर पूरे राज्य में 7478 ग्राम पंचायतों, 2941 क्षेत्र पंचायतों और 12 जिला पंचायतों में प्रशासक नियुक्त किए गए हैं। ये प्रशासक पंचायतों के सामान्य प्रशासन, विकास कार्यों और जनहित से जुड़े मुद्दों का संचालन देखेंगे, ताकि लोकतांत्रिक रिक्तता की स्थिति पैदा न हो।
कितनी सीटों पर होने हैं चुनाव
नए परिसीमन के बाद अब प्रदेश की त्रिस्तरीय पंचायत व्यवस्था में कुल 7514 ग्राम पंचायतों, 2936 क्षेत्र पंचायतों, 343 जिला पंचायतों और 55640 ग्राम वार्डों में चुनाव होने हैं।
हरिद्वार क्यों अपवाद है
हरिद्वार को इस प्रक्रिया से बाहर रखा गया है, लेकिन शासन ने स्पष्ट किया है कि इससे संबंधित पूर्व अधिसूचनाओं की शेष शर्तें यथावत रहेंगी, यानी जिले की परिस्थितियों के अनुसार वहां अलग प्रक्रिया अपनाई जा रही है, जिसकी विस्तृत जानकारी फिलहाल सामने नहीं आई है।
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