
Up Kiran, Digital Desk: कालेश्वरम लिफ्ट सिंचाई परियोजना (KLIP) के निर्माण में हुई अनियमितताओं की जांच कर रहे जस्टिस पीसी घोष आयोग ने अपने एक महत्वपूर्ण निष्कर्ष में एल एंड टी (L&T) कंपनी पर गंभीर आरोप लगाए हैं. आयोग ने कहा है कि कंपनी ने मेडिगड्डा बैराज का काम अधूरा होने के बावजूद अधिकारियों से 'पूर्णता प्रमाण पत्र' (Completion Certificate) हासिल कर लिया. आयोग ने स्पष्ट किया है कि बैराज के सभी लंबित कार्यों, जिनमें दोषों का सुधार और मेडिगड्डा बैराज के 7वें ब्लॉक की बहाली शामिल है, को कंपनी को अपने खर्च पर पूरा करना होगा. एल एंड टी ने केएलआईपी की प्रमुख परियोजना, मेडिगड्डा बैराज का निर्माण किया था.
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आयोग ने अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से कहा है कि “एल एंड टी न तो 'पर्याप्त निर्माण पूर्णता प्रमाण पत्र' और न ही 'कार्यों की पूर्णता का प्रमाण पत्र' प्राप्त करने का हकदार है. यह माना जाता है कि मेडिगड्डा के बैराज का काम पूरा नहीं हुआ है, और रिपोर्ट में दर्ज कारणों के लिए, एजेंसी अपने खर्च पर सभी लंबित कार्यों को पूरा करने के लिए उत्तरदायी है, जिसमें दोष सुधार कार्य और मेडिगड्डा बैराज के 7वें ब्लॉक की बहाली के अलावा अन्य बहाली कार्य भी शामिल हैं.”
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घोष आयोग की रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि यदि एजेंसी इस संबंध में कार्रवाई करने में विफल रहती है, तो परियोजना प्राधिकरण उक्त कार्य करवाएंगे और अनुबंध की शर्तों के अनुसार तथा कानून के अनुसार डिफ़ॉल्ट करने वाली एजेंसी से खर्च की गई राशि वसूल करेंगे अन्नाराम और सुंडिला बैराजों के निर्माण में शामिल एजेंसियों को भी अपने खर्च पर दोषों को ठीक करने के लिए उत्तरदायी ठहराया गया है, क्योंकि उन्होंने दोष देयता अवधि (DLP) के दौरान इन दोषों पर ध्यान नहीं दिया था.
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आयोग ने कहा कि तथ्यों की समग्रता और साक्ष्यों के विश्लेषण से आयोग इस अटल निष्कर्ष पर पहुंचा है कि मेडिगड्डा बैराज के संबंध में जारी किए गए पूर्णता प्रमाण पत्र गलत और अनुचित थे.आयोग ने यह भी बताया कि "अनुबंध की शर्तों के अनुसार संरचना पूरी न होने के कारण दोष देयता अवधि कानूनी रूप से शुरू नहीं हुई थी," यह मानते हुए कि ठेकेदार अपने खर्च पर संविदात्मक शर्तों के अनुसार क्षति की मरम्मत के लिए उत्तरदायी है आयोग ने टिप्पणी की कि तथ्यों की समग्रता से ठोस सबूत सामने आए हैं और यह स्पष्ट रूप से साबित होता है कि परियोजना प्राधिकरण और एजेंसी एक-दूसरे के साथ "मिलीभगत" में थे और मेडिगड्डा बैराज के निर्माण पर खर्च किए गए भारी सार्वजनिक धन से अनुचित लाभ और गैरकानूनी लाभ प्राप्त करने के अपने अनुचित और निहित उद्देश्य की पूर्ति में जानबूझकर दुर्भावनापूर्ण इरादे से काम कर रहे थे.यह रिपोर्ट तेलंगाना की तत्कालीन सरकार के प्रमुखों पर भी सीधे तौर पर अनियमितताओं की जिम्मेदारी डालती है.