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Up kiran,Digital Desk : भाखड़ा डैम... यह नाम सुनते ही हम सबके मन में शान और ताकत की एक तस्वीर उभरती है। यह सिर्फ एक डैम नहीं, बल्कि आज़ाद भारत की तरक्की का प्रतीक है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इस विशाल डैम की जान किसमें बसती है? इसकी जान बसती है इसके पीछे बनी खूबसूरत और विशाल गोबिंद सागर झील में।

पर अब इसी झील की 'सांसें' धीरे-धीरे घुट रही हैं। पिछले 71 सालों से इस झील में लगातार गाद (नदियों द्वारा लाई गई मिट्टी और कचरा) जमा हो रही है, और अब हालात इतने चिंताजनक हो गए हैं कि सरकार को 71 साल बाद पहली बार इसे साफ करने के बारे में सोचना पड़ा है।

कितनी गंभीर है समस्या?

इसे आसान भाषा में समझिए। मान लीजिए, आपके पास पानी की एक बड़ी टंकी है, लेकिन आप उसे कभी साफ नहीं करते। धीरे-धीरे उसके नीचे मिट्टी जमा होने लगती है और टंकी में पानी भरने की जगह कम हो जाती है। ठीक यही हाल हमारी गोबिंद सागर झील का हो गया है।

  • अधिकारियों के मुताबिक, झील का 25% हिस्सा यानी एक चौथाई भाग अब पानी से नहीं, बल्कि गाद से भर चुका है।
  • अगर यह गाद ऐसे ही जमा होती रही, तो झील में पानी जमा करने की क्षमता और भी कम होती जाएगी, जिसका सीधा असर बिजली बनाने से लेकर सिंचाई तक, हर चीज़ पर पड़ेगा।

तो 71 साल तक क्यों नहीं हुई सफाई?

यह सवाल हर किसी के मन में आएगा। भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (BBMB) के अधिकारी बताते हैं कि वे इस समस्या को लेकर पिछले दो साल से लगातार जांच कर रहे थे। उन्होंने झील से गाद निकालने के लिए टेंडर निकालने की पूरी तैयारी (NIT) भी कर ली थी।

लेकिन पेंच फंसा हिमाचल प्रदेश सरकार के एक नियम में। दरअसल, प्रदेश में झील या किसी जलाशय से गाद निकालने को लेकर कोई साफ-सुथरी पॉलिसी ही नहीं थी। इसी एक वजह से इतने बड़े और ज़रूरी काम का टेंडर ही जारी नहीं हो पाया।

अब उम्मीद की नई किरण

  • केंद्र के जल शक्ति मंत्रालय ने इस मिशन के लिए 10 बड़े एक्सपर्ट्स की एक स्पेशल टीम बनाई है।
  • हिमाचल सरकार ने भी भरोसा दिलाया है कि वह अगले विधानसभा सत्र में गाद निकालने को लेकर एक नई पॉलिसी को मंजूरी दे देगी।
  • जैसे ही यह पॉलिसी पास होगी, झील को साफ करने का टेंडर जारी कर दिया जाएगा।

यह काम सिर्फ भाखड़ा डैम या हिमाचल के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए बहुत ज़रूरी है। जब इस झील से सालों की जमी हुई गाद निकलेगी, तो यह भाखड़ा डैम के लिए एक 'नया जीवन' मिलने जैसा होगा, और यह हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए एक बहुत बड़ा तोहफा होगा।