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Up Kiran, Digital Desk: बागेश्वर धाम के कथावाचक धीरेंद्र शास्त्री पर टिप्पणी करने के बाद उत्तर प्रदेश की सियासत में एक नया विवाद उभरकर सामने आया है। समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने कथावाचकों को लेकर जो बयान दिए, उसने ब्राह्मण समाज को खासा नाराज कर दिया। बागपत के खेड़की गांव में आयोजित एक 'मिनी महापंचायत' में ब्राह्मण समाज ने इस विवाद को लेकर अपनी कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की।

महापंचायत में यह तय किया गया कि अब सावन के महीने में ब्राह्मण समाज हरिद्वार से कांवड़ लेकर आएगा और अखिलेश यादव की तस्वीर पर गंगाजल चढ़ाकर उनका "बुद्धि शुद्धीकरण" करेगा। यह कदम समाज के एक वर्ग की ओर से उनकी टिप्पणी के खिलाफ विरोध जताने का एक प्रतीकात्मक तरीका होगा।

दांडी स्वामी, जो महापंचायत में मौजूद थे, ने अखिलेश यादव के बयान को लक्ष्मण रेखा के पार करना बताया। उन्होंने कहा, "जो भी व्यक्ति लक्ष्मण रेखा लांघता है, उसका परिणाम हमेशा बुरा होता है। अगर जरूरत पड़ी तो हम संसद के बाहर लाठियां भी खा सकते हैं, हमने गाय के लिए लाठी खाई हैं, तो समाज और धर्म के लिए भी लाठियां खाने को तैयार हैं।"

महापंचायत में यह भी निर्णय लिया गया कि ब्राह्मण समाज आगामी 2027 के विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव का राजनीतिक बहिष्कार करेगा। समाज के इस वर्ग ने यह स्पष्ट किया कि ऐसे नेता को सीएम पद की जिम्मेदारी नहीं सौंपनी चाहिए, जो संतों और ब्राह्मणों का अपमान करता हो।

अखिलेश यादव ने कुछ समय पहले इटावा में कथावाचक विवाद को लेकर बयान दिया था, जिसमें उन्होंने कथावाचकों पर आरोप लगाया था कि वे कथा करने के लिए अत्यधिक फीस लेते हैं। इस बयान को लेकर कई ब्राह्मण संगठनों ने कड़ी आपत्ति जताई थी। अब इस विवाद ने एक नया मोड़ लिया है और यह देखना दिलचस्प होगा कि आगे यह राजनीतिक और सामाजिक पटल पर क्या असर डालता है।

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