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Up Kiran, Digital Desk: आज की तेज़ रफ़्तार दुनिया में, जहां छात्रों के सामने विकल्पों और सूचनाओं का अंबार लगा है, प्रभावी ढंग से निर्णय लेने की क्षमता एक बेहद महत्वपूर्ण कौशल बन गई है। यह सिर्फ़ शैक्षणिक सफलता के लिए ही नहीं, बल्कि जीवन के हर मोड़ पर सही राह चुनने के लिए भी आवश्यक है।

प्रभावी निर्णय लेना केवल विकल्प चुनना नहीं है; यह जानकारी का विश्लेषण करने, संभावित परिणामों को समझने और आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ने की प्रक्रिया है। जिन छात्रों में यह कौशल होता है, वे अपनी पढ़ाई, करियर और निजी जीवन से जुड़े फैसले बेहतर तरीके से ले पाते हैं। वे समस्याओं को अधिक आत्मविश्वास से सुलझाते हैं और अनिश्चितताओं का सामना करने के लिए बेहतर ढंग से तैयार रहते हैं।

यह कौशल जन्मजात नहीं होता, बल्कि इसे सिखाया और विकसित किया जा सकता है। शिक्षा संस्थानों, शिक्षकों और अभिभावकों की इसमें अहम भूमिका है। छात्रों को सोचने, सवाल पूछने, विभिन्न दृष्टिकोणों पर विचार करने और अपने फैसलों के परिणामों का मूल्यांकन करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। केस स्टडीज, भूमिका निभाना (role-playing), और वास्तविक जीवन की स्थितियों पर चर्चा करना इस कौशल को विकसित करने के प्रभावी तरीके हो सकते हैं।

प्रभावी निर्णय लेने वाले छात्र अधिक स्वायत्त (autonomous) और जिम्मेदार बनते हैं। वे अपनी राह खुद बनाना सीखते हैं और गलतियों से सीखते हुए आगे बढ़ते हैं। इसलिए, छात्रों को ज्ञान देने के साथ-साथ, उन्हें यह महत्वपूर्ण जीवन कौशल सिखाना उनके समग्र सशक्तिकरण और भविष्य की सफलता के लिए बेहद ज़रूरी है।

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