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आपको हर वक्त तलाश है उस आदमी की जो कुत्ते को काटे...मैं उसको इग्नोर करता हूं। ये शब्द किसी आम व्यक्ति का नहीं, बल्कि बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान का था। जब उनसे AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी के वक्फ कानून पर दिए बयान को लेकर प्रतिक्रिया मांगी गई।

पटना में आयोजित एक कार्यक्रम में राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने ना सिर्फ वक्फ संशोधन कानून पर खुलकर बात की बल्कि तीन तलाक, मुस्लिम समाज की आंतरिक स्थिति और मज़हबी राजनीति को लेकर भी कई तीखे सवाल उठाए। इस कार्यक्रम का आयोजन ऑल इंडिया यूनाइटेड मुस्लिम मोर्चा और सेंटर फॉर पीस द्वारा किया गया था।

वक्फ संपत्ति, अब कारोबार की दौलत बन गई है

राज्यपाल खान ने स्पष्ट कहा कि वक्फ की संपत्ति का मूल उद्देश्य गरीब मुसलमानों की मदद करना था, लेकिन आज उस ज़मीन पर मॉल, अस्पताल और कमर्शियल सेंटर खड़े हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या पिछले 20-25 सालों में वक्फ ने ऐसा कोई स्कूल बनाया है जो गरीब मुसलमानों की शिक्षा में मददगार हो?

उनका निशाना सीधे तौर पर मुस्लिम समाज के उन वर्गों पर था, जो वक्फ संपत्तियों का लाभ अपने व्यावसायिक हित में ले रहे हैं। राज्यपाल का यह भी कहना था कि आज के धार्मिक संगठन गरीब मुसलमानों को भावनात्मक तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि अमीर मुसलमान के बच्चे मदरसों में नहीं, विदेशों में पढ़ते हैं। मदरसों में तो गरीब मुसलमानों के बच्चे जाते हैं।

जब पत्रकारों ने वक्फ कानून पर ओवैसी के बयानों पर प्रतिक्रिया मांगी तो राज्यपाल ने मीडिया की प्रवृत्ति पर सवाल उठाते हुए कहा कि आपको हर वक्त तलाश है उस आदमी की जो कुत्ते को काटे... मैं उसे इग्नोर करता हूं।

इस टिप्पणी को लेकर कई हलकों में प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। विपक्ष इसे असंवेदनशील कह रहा है। वहीं समर्थक इसे राजनीतिक ड्रामेबाज़ी को बेनकाब करने वाला जवाब बता रहे हैं।