
Electric Vehicle Policy 2.0: दिल्ली की सड़कों पर पीले-हरे रंग के CNG ऑटोरिक्शा जल्द ही इतिहास का हिस्सा बन सकते हैं। दिल्ली सरकार की नई इलेक्ट्रिक वाहन (EV) नीति 2.0 के मसौदे में इन्हें पूरी तरह खत्म करने की सिफारिश की गई है। सोमवार को अफसरों ने बताया कि 15 अगस्त, 2025 से नए CNG ऑटोरिक्शा का पंजीकरण बंद हो जाएगा और मौजूदा ऑटो के परमिट का नवीनीकरण भी रुक जाएगा। अब हर नया या नवीनीकृत परमिट सिर्फ इलेक्ट्रिक ऑटो के लिए होगा। ये कदम दिल्ली को प्रदूषण मुक्त बनाने की दिशा में एक बड़ा बदलाव लेकर आ रहा है।
CNG ऑटो पर लगाम, इलेक्ट्रिक का रास्ता साफ
दिल्ली में अभी एक लाख तीन-सीटर ऑटोरिक्शा चलते हैं, जैसा कि नवंबर 2011 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश में तय हुआ था। पहले ये संख्या 55,000 थी, जब ऑटो पेट्रोल-डीजल पर चलते थे। अब EV नीति 2.0 के तहत CNG ऑटो को अलविदा कहने की तैयारी है। मसौदे में साफ है कि 10 साल से पुराने CNG ऑटो को या तो बदला जाएगा या उनकी जगह इलेक्ट्रिक पावरट्रेन लगाई जाएगी। ये नीति जल्द ही अधिसूचित होने वाली है, और इसके बाद दिल्ली की सड़कों पर सिर्फ इलेक्ट्रिक ऑटो की गूंज सुनाई देगी।
सिर्फ ऑटो नहीं, सब पर नजर
ये नीति सिर्फ ऑटोरिक्शा तक सीमित नहीं है। दिल्ली सरकार ने नागरिक सेवाओं में इस्तेमाल होने वाले जीवाश्म ईंधन वाहनों को भी निशाने पर लिया है। MCD, NDMC और दिल्ली जल बोर्ड के पेट्रोल, डीजल व CNG से चलने वाले कचरा वाहनों को 31 दिसंबर, 2027 तक पूरी तरह इलेक्ट्रिक करना होगा। इसके अलावा, 15 अगस्त, 2025 से नए तिपहिया माल वाहकों और 15 अगस्त, 2026 से नए पेट्रोल-डीजल दोपहिया वाहनों का पंजीकरण भी बंद हो जाएगा। दिल्ली परिवहन निगम (DTC) और DIMTS की सभी इंट्रा-सिटी बसें भी भविष्य में इलेक्ट्रिक होंगी, जबकि अंतर-राज्य बसों के लिए सिर्फ BS-VI मानक वाली बसें चलेंगी।