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Up Kiran, Digital Desk: पश्चिम बंगाल में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनज़र, वाम मोर्चा (Left Front) के प्रमुख दल CPI(M), कांग्रेस के साथ सीट-बंटवारे (seat-sharing) के समझौते के लिए उत्सुक है। हालांकि, CPI(M) की ओर से यह स्पष्ट कर दिया गया है कि इस दिशा में पहला कदम कांग्रेस की ओर से उठाया जाना चाहिए।

CPI(M) का रुख: कांग्रेस पहल करे

पश्चिम बंगाल में CPI(M) के राज्य सचिव और पार्टी की पोलित ब्यूरो सदस्य, एम.डी. सलीम (Md Salim) का रुख बिल्कुल स्पष्ट है। उनके अनुसार, यह कांग्रेस को तय करना है कि क्या वे पश्चिम बंगाल में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए CPI(M)-नेतृत्व वाले वाम मोर्चा के साथ अपने चुनावी सीट-बंटवारे की व्यवस्था को जारी रखना चाहते हैं।

पिछले सहयोगों का हवाला

CPI(M) के पश्चिम बंगाल से एक केंद्रीय समिति सदस्य ने बताया कि कांग्रेस ने जून में नादिया जिले की कलिगंज विधानसभा सीट के बायपोल (bypoll) के लिए वाम मोर्चा से अपने उम्मीदवार के समर्थन का अनुरोध किया था। तदनुसार, वाम मोर्चा ने उस चुनाव में अपना कोई उम्मीदवार नहीं खड़ा किया था।

"पश्चिम बंगाल कांग्रेस इकाई के भीतर एक वर्ग लगातार हमें संकेत भेज रहा है कि वे हमारे साथ अपने समझौते को जारी रखना चाहते हैं, जो 2021 के विधानसभा चुनाव, 2024 के लोकसभा चुनावों और 2025 के कलिगंज बायपोल के लिए हुआ था। अब, उन्हें यह तय करना होगा कि वे 2026 में क्या करना चाहते हैं। हम कांग्रेस की ओर से निर्णय नहीं ले सकते," पार्टी के केंद्रीय समिति सदस्य ने कहा।

कांग्रेस का आधिकारिक रुख लंबित

हालांकि, पश्चिम बंगाल कांग्रेस इकाई ने अभी तक इस मामले पर अपना आधिकारिक रुख घोषित नहीं किया है। राज्य कांग्रेस अध्यक्ष, सुवांकर सरकार (Suvankar Sarkar) ने कहा कि चाहे वह राष्ट्रीय स्तर पर हो या राज्य स्तर पर, गठबंधन या सीट-बंटवारे समझौते का अंतिम निर्णय अंततः ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी (AICC) के पास होता है।

यह स्थिति पश्चिम बंगाल की राजनीति में वाम-कांग्रेस गठबंधन के भविष्य पर अनिश्चितता का माहौल बनाए हुए है, जहाँ दोनों दल एक-दूसरे की पहल का इंतज़ार कर रहे हैं।

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