Up Kiran, Digital Desk: दिल्ली के लाल किला के पास हुए धमाके की जांच में एक ऐसा मोड़ आया है, जिसने सुरक्षा एजेंसियों को भी सकते में डाल दिया है. धमाके में इस्तेमाल की गई हुंडई i20 कार की कहानी किसी पहेली की तरह उलझी हुई है. जांच में पता चला है कि यह कार पिछले 11 सालों में पांच बार बेची गई थी. सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इस कार को खरीदने के लिए आखिरी बार जिस पहचान पत्र (ID) का इस्तेमाल किया गया, वह जम्मू-कश्मीर के पुलवामा का था.
कैसे उलझी है कार की कहानी?
जांच अधिकारियों के अनुसार, यह कोई मामूली खरीद-फरोख्त नहीं थी, बल्कि जांच की दिशा भटकाने के लिए एक सोची-समझी साजिश हो सकती है.
11 साल में 5 मालिक: जांच में पता चला है कि हरियाणा नंबर की इस i20 कार (HR26CE7476) का मालिकाना हक पिछले 11 सालों में पांच बार बदला गया. फर्जीवाड़े का खेल: कई बार कार को बेचने के बाद भी उसके रजिस्ट्रेशन को आधिकारिक तौर पर ट्रांसफर नहीं कराया गया. ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल: आखिरी बार इस कार को OLX पर बेचा गया था. फरीदाबाद के एक कार डीलर ने बताया कि दो लोग कार देखने आए, पसंद की और उसी दिन खरीदकर ले गए. पुलवामा की आईडी: कार खरीदने के लिए आमिर रशीद नाम के शख्स ने आधार और पैन कार्ड दिए, जिन पर पता पुलवामा, जम्मू-कश्मीर का था
आखिरी डील कैसे हुई?
फरीदाबाद के रॉयल कार जोन के डीलर अमित पटेल के मुताबिक, उन्होंने OLX पर कार बेचने का विज्ञापन दिया था. 29 अक्टूबर, 2025 को आमिर रशीद एक अन्य व्यक्ति के साथ कार देखने आया.उन्होंने 1.70 लाख रुपये में सौदा तय किया और उसी दिन कार ले गए. हैरानी की बात यह है कि उन्होंने कार खरीदने के तुरंत बाद उसका प्रदूषण सर्टिफिकेट भी रिन्यू कराया. यह कार अल फलाह मेडिकल कॉलेज से जुड़े डॉक्टर उमर नबी के कहने पर खरीदी गई थी.
जांच एजेंसियां इस मल्टीपल ओनरशिप को एक बड़ी साजिश का हिस्सा मान रही हैं. उनका मानना है कि ऐसा जानबूझकर किया गया ताकि धमाके के बाद जांचकर्ता असली गुनहगार तक आसानी से न पहुंच पाएं. इस पुलवामा कनेक्शन के सामने आने के बाद अब जांच का दायरा और भी बढ़ गया है और सुरक्षा एजेंसियां इस मामले की हर कड़ी को जोड़ने में लगी हैं.



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