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Up Kiran, Digital Desk: वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने शनिवार को एक साहित्यिक कार्यक्रम के दौरान ऑपरेशन ब्लू स्टार को लेकर ऐसा बयान दिया, जिसने फिर से एक पुरानी बहस को हवा दे दी है।

“सेना को ऑपरेशन से बाहर रखना चाहिए था”

80 वर्षीय पी. चिदंबरम हिमाचल के कसौली में खुशवंत सिंह साहित्य महोत्सव में पहुंचे थे। इस दौरान पत्रकार हरिंदर बावेजा की नई किताब ‘They Will Shoot You, Madam’ पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि ऑपरेशन ब्लू स्टार गलत तरीका था। मैं मानता हूँ कि श्रीमती इंदिरा गांधी को उस गलती की कीमत अपनी जान देकर चुकानी पड़ी। लेकिन ये केवल उनका निर्णय नहीं था। इसमें सेना, पुलिस, खुफिया एजेंसियां और सिविल सेवा सबकी भूमिका थी।

चिदंबरम बोले – “सैनिकों का सम्मान है, पर तरीका गलत था”

चिदंबरम ने स्पष्ट किया कि उनकी बातों का मकसद सेना या किसी अधिकारी का अपमान करना नहीं है। उन्होंने कहा कि स्वर्ण मंदिर को वापस लेने का वह तरीका गलत था। कुछ वर्षों बाद हमने दिखाया कि सेना के बिना भी ये किया जा सकता है। वह तरीका बेहतर और कम नुकसान वाला था।

“खालिस्तान अब मुद्दा नहीं, असली समस्या है बेरोजगारी”

पंजाब की वर्तमान स्थिति पर बोलते हुए चिदंबरम ने कहा कि राज्य की सबसे बड़ी चुनौती आर्थिक है, न कि अलगाववाद। अब खालिस्तान का नारा शांत पड़ गया है। असली संकट है बेरोजगारी, खेती की समस्याएं और युवाओं का पलायन। अधिकांश अवैध प्रवासी पंजाब से हैं, यह चिंता का विषय है।

ऑपरेशन ब्लू स्टार: एक ऐतिहासिक झटका

1984 में अमृतसर स्थित स्वर्ण मंदिर में चलाया गया ऑपरेशन ब्लू स्टार भारतीय इतिहास का एक बेहद संवेदनशील और विवादित अध्याय रहा है। इसका मकसद था खालिस्तानी नेता जरनैल सिंह भिंडरावाले और उनके समर्थकों को बाहर निकालना। हालांकि इस सैन्य कार्रवाई में अकाल तख्त को भी नुकसान हुआ, जिससे सिख समुदाय में भारी आक्रोश फैला।

इसी घटना के कुछ महीनों बाद प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके सिख अंगरक्षकों ने हत्या कर दी थी।