Up kiran,Digital Desk : सोचिए, किसी देश की सरकार अपनी आबादी बढ़ाने के लिए इतनी परेशान हो जाए कि वो कंडोम और गर्भनिरोधक गोलियों पर ही टैक्स लगा दे! सुनने में अजीब लगता है, लेकिन चीन में ठीक यही होने जा रहा है।
चीन, जो कभी अपनी 'एक बच्चा नीति' के लिए जाना जाता था, आज अपनी लगातार घटती जन्म दर से जूझ रहा है। आलम यह है कि भारत अब दुनिया का सबसे ज़्यादा आबादी वाला देश बन चुका है, और चीन दूसरे नंबर पर खिसक गया है।
इसी समस्या से निपटने के लिए चीनी सरकार ने एक अनोखा, और काफी विवादित कदम उठाया है। 1 जनवरी, 2026 से चीन में कंडोम जैसे गर्भनिरोधक उत्पादों पर 13% का वैट (VAT) लगना शुरू हो जाएगा। ये वही उत्पाद हैं, जो पिछले 30 सालों से टैक्स-फ्री थे।
क्यों लगाया गया यह 'कंडोम टैक्स'?
सरकार की सोच बड़ी सीधी है। उनका मानना है कि जब कंडोम और दूसरे गर्भनिरोधक महंगे हो जाएंगे, तो लोग उन्हें कम खरीदेंगे। इससे अनचाहे गर्भधारण की संख्या बढ़ेगी और देश की जन्म दर में भी बढ़ोतरी होगी। साल 2024 में चीन में सिर्फ 95 लाख बच्चों का जन्म हुआ, जो 2019 के मुकाबले एक-तिहाई कम है। सरकार इसी आंकड़े को बदलना चाहती है।
लोग उड़ा रहे मजाक, विशेषज्ञ बता रहे 'बेकार'
जैसे ही यह खबर बाहर आई, चीन के सोशल मीडिया पर लोगों ने सरकार का मजाक उड़ाना शुरू कर दिया। एक यूजर ने लिखा, "एक बच्चे को पालने का खर्च 13% टैक्स से कहीं ज़्यादा है, यह टैक्स किसी के भी बच्चा पैदा करने के फैसले को नहीं बदल सकता।"
सिर्फ आम लोग ही नहीं, बल्कि दुनिया भर के विशेषज्ञ भी इस कदम को 'बहुत कम असरदार' बता रहे हैं। उनका मानना है कि इस टैक्स से जन्म दर पर तो कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा, लेकिन इसके कई गंभीर और खतरनाक परिणाम हो सकते हैं:
- बढ़ेंगी बीमारियां: जब कंडोम महंगे होंगे, तो ज़ाहिर है कि लोग, खासकर गरीब लोग, उनका इस्तेमाल कम कर देंगे। इससे यौन संचारित रोग (STI) जैसे कि गोनोरिया और सिफलिस के मामले तेजी से बढ़ सकते हैं, जो चीन में पहले से ही बढ़ रहे हैं।
- बढ़ेंगे अनचाहे गर्भपात: कम आय वाले लोगों के लिए जब गर्भनिरोधक खरीदना मुश्किल हो जाएगा, तो अनचाहे गर्भधारण की संख्या बढ़ेगी, जिससे असुरक्षित गर्भपात का खतरा भी बढ़ेगा।
- महिलाओं की आज़ादी पर हमला: चीन में गर्भनिरोधक की ज़िम्मेदारी ज़्यादातर महिलाओं पर होती है। इस कदम को महिलाओं के अपनी शरीर और स्वास्थ्य से जुड़े फैसले लेने के अधिकार पर एक हमले के रूप में देखा जा रहा है।
कुल मिलाकर, यह कदम चीन की उस हताशा को दिखाता है, जो वह अपनी घटती आबादी को लेकर महसूस कर रहा है। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह तरीका सही है, या यह एक नई और बड़ी मुसीबत को जन्म देगा?
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