Up Kiran, Digital Desk: उत्तराखंड में बिजली उपभोक्ताओं के लिए लगाए जा रहे स्मार्ट मीटर अब राहत नहीं, बल्कि परेशानी की वजह बनते जा रहे हैं। ऊर्जा निगम (UPCL) की ओर से "रिवैम्प्ड डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम (RDSS)" के तहत इन मीटरों की इंस्टॉलेशन की जा रही है, लेकिन जिस तरह से ये काम अंजाम दिया जा रहा है, उससे आम जनता में गुस्सा बढ़ता जा रहा है।
बिना जानकारी, बिना सहमति- सीधे मीटर बदला
राजधानी देहरादून के कई इलाकों में लोगों ने शिकायत की है कि उनके पुराने मीटर बिना किसी पूर्व सूचना के हटा दिए गए। नए स्मार्ट मीटर तो लगा दिए गए, लेकिन न कोई सीलिंग सर्टिफिकेट दिया गया और न ही मीटर रीडिंग की कोई आधिकारिक पुष्टि की गई।
रायपुर रोड, मोहनपुर और स्मिथनगर जैसे इलाकों में यह स्थिति देखने को मिली। जब ऊर्जा निगम की टीम वहां पहुंची, तो न कोई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद था और न ही मीटर बदलने वाले कर्मचारियों के पास पहचान पत्र। इससे स्थानीय लोग और भी अधिक असहज महसूस करने लगे।
RTI में भी नहीं मिला जवाब
सामाजिक कार्यकर्ता वीरू बिष्ट ने इस पूरी प्रक्रिया को लेकर सूचना का अधिकार (RTI) कानून के तहत जानकारी मांगी थी, लेकिन ऊर्जा निगम की तरफ से कोई जवाब नहीं दिया गया। यह स्थिति पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े करती है।
रोज़ लग रहे हैं 1500 मीटर, लेकिन जानकारी नहीं
UPCL के स्मार्ट मीटरिंग प्रमुख शेखर त्रिपाठी ने बताया कि अब तक प्रदेश में करीब 2.53 लाख स्मार्ट मीटर लगाए जा चुके हैं। 2026 तक सभी घरों में यह मीटर लगाने का लक्ष्य है और फिलहाल हर दिन औसतन 1500 मीटर इंस्टॉल किए जा रहे हैं।
लेकिन उपभोक्ताओं का आरोप है कि न तो उन्हें सर्टिफिकेट दिया गया और न ही मीटर रीडिंग उनके सामने की गई। इससे बिल की पारदर्शिता पर सवाल उठ रहे हैं।




