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Up Kiran, Digital Desk: तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (TTD) एक बार फिर चर्चा में है। इस बार वजह है 'वेदपारायणदारुलु' (वैदिक विद्वानों) के पदों पर होने वाली भर्ती का अचानक रुक जाना। ये इंटरव्यू 11 सितंबर से शुरू होने वाले थे, लेकिन TTD ने ऐन मौके पर इन्हें रोक दिया, जिससे कई सवाल खड़े हो गए हैं।

क्यों हो रही थी यह भर्ती: TTD ट्रस्ट बोर्ड के पूर्व चेयरमैन, भूमन करुणाकर रेड्डी, ने इस फैसले पर गहरी चिंता जताई है। उन्होंने बताया कि वैदिक शिक्षा को बढ़ावा देने और पारंपरिक प्रथाओं को मजबूत करने के लिए उनके कार्यकाल में 700 पद बनाए गए थे। इसका मकसद सिर्फ विद्वानों को रोजगार देना नहीं, बल्कि यह भी सुनिश्चित करना था कि मंदिरों में वेदों का पाठ हमेशा गूंजता रहे।

पूर्व चेयरमैन ने लगाया पक्षपात का आरोप

रेड्डी ने सीधे तौर पर आरोप लगाया है कि इस भर्ती प्रक्रिया को इसलिए रोका गया है ताकि कुछ 'पसंदीदा उम्मीदवारों' को फायदा पहुँचाया जा सके। उन्होंने इस कदम को पूरी तरह से अनुचित बताया है। उनका कहना है कि बिना किसी ठोस आधार के सिर्फ कुछ शिकायतों का हवाला देकर भर्ती को रोकना बहुत निराशाजनक है, खासकर ब्राह्मण समुदाय के लिए, जिन्होंने इन मौकों का स्वागत किया था।

उन्होंने कहा, "इस भर्ती प्रक्रिया को रोकने से न केवल योग्य विद्वानों को रोजगार मिलने से रोका जा रहा है, बल्कि मंदिरों में वैदिक पाठ सुनिश्चित करने के हमारे लक्ष्य को भी धक्का लगा है।" उन्होंने यह भी कहा कि ईमानदार अधिकारियों को सिस्टम में प्रोत्साहित किया जाना चाहिए, लेकिन इस तरह के फैसले पूरी प्रक्रिया पर संदेह पैदा करते हैं।

यह इंटरव्यू डिप्टी एग्जीक्यूटिव ऑफिसर गोविंदराजन और वरिष्ठ वैदिक विद्वान फणी यज्ञेश्वर याजुलु की देखरेख में होने वाले थे, लेकिन अब पूरी प्रक्रिया ठंडे बस्ते में चली गई है।

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