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मंगेश यादव का एनकाउंटर करने वाले STF के डिप्टी एसपी डीके शाही के बारे में सुनिए।

उनके परिवार के नाम दो ट्रस्ट हैं।

महाराणा प्रताप वॉलीबॉल ट्रस्ट और महाराणा प्रताप चैरिटेबल ट्रस्ट खरगापुर लखनऊ  

इन ट्रस्टों द्वारा समय समय पर खेल प्रतियोगिताओं और समारोहों का भव्य आयोजन होता है।

यहां मुख्य और सम्मानित अतिथियों में कभी डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक होते हैं, कभी कैबिनेट मंत्री स्वतंत्र देव सिंह, कभी मंत्री दयाशंकर सिंह, कभी खेल मंत्री गिरीश यादव तो कभी खुद एसटीएफ के मुखिया अमिताभ यश।

उनकी पत्नी उत्तर प्रदेश महिला आयोग की सदस्य अब बनी हैं मगर गोरखपुर क्षेत्र की भाजपा महिला मोर्चा की क्षेत्रीय कोषाध्यक्ष पहले से ही हैं।

गोरखपुर क्षेत्र ही उनकी राजनीति का केंद्र है।

अब उन सारे सवालों का revision करते जाइए जो शाही के कामकाज के तरीके से उठ रहे हैं।

आखिर शाही कैसे मंगेश यादव की पहचान करते हैं?

उनकी टीम किस रेंज से गोली मारती है कि एक गोली मंगेश के सिर में लगती है और एक बाजू में?

आखिर इतनी सनसनीखेज घटना का आरोपी घटना के 8 दिनो बाद भी सुल्तानपुर में ही घटनास्थल से कुछ किलोमीटर की दूरी पर क्या कर रहा होता है? वो 8 दिन तक कहीं नहीं भागता है!!

क्या वो सुलतानपुर में ही रुककर STF के रोके जाने पर फायरिंग करने का प्लान बना रहा होता है???

आखिर PM रिपोर्ट में ऐसा क्या है जो रिपोर्ट तमाम कोशिशों के बावजूद देखने को नहीं मिल रही है?

PM रिपोर्ट कब और 'किस हालत' में सामने आएगी?

आखिर शाही कैसे चप्पल में ही एक आरोपी का एनकाउंटर कैसे कर देते हैं?

आखिर शाही विवादों में घिरे एक एनकाउंटर को लेकर उसी जिले में आयोजित सम्मान समारोह में कैसे शिरकत करते हैं?

आखिर शाही किसके आदेश पर एक निजी समारोह में एक विवादों में घिरे एनकाउंटर को लेकर सार्वजनिक बयानबाजी करते हैं?

आखिर शाही कैसे जाति पांत के मुद्दे पर राजनीतिक सरीखी बयानबाज़ी करते हैं?

आखिर शाही कैसे एक नेता की तरह बयान देते हुए बाकायदा अपराधियों को चेतावनी भी जारी करते हैं और कहते हैं वो अपराध छोड़ दें। वो ये भी कहते हैं कि जो जिस तरह का अपराधी है, उसे उस तरह की सजा दिलवाई जा रही है।

आखिर यूपी में अधिकारियों पर बिना इजाजत मीडिया से बात न करने के लागू GO की उनके मामले में अचानक से बायपास सर्जरी कैसे हो जाती है?

उन्हें एक निजी समारोह में ये बयानबाजी की इजाजत दी किसने?

आखिर अभी तक अमिताभ यश ने डीके शाही पर कोई एक्शन क्यों नही लिया है?

इन सवालों को पढ़िए, इन तस्वीरों पर गौर कीजिए और मेरे साथ मिर्ज़ा ग़ालिब का ये शेर पढ़िए -

"हुआ है शाह का मुसाहिब फिरे है इतराता 
वगरना शहर में 'ग़ालिब' की आबरू क्या है  है!!"

(ग़ालिब लिखते हैं कि वो तो शाह यानि सुलतान का मुसाहिब यानि संगी है, इसीलिए वो इतना इतरा रहा है। 
वरना इस शहर में ग़ालिब की आबरू क्या है?)

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