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Up Kiran, Digital Desk: दिल्ली उच्च न्यायालय ने गुरुवार को संजय कपूर की अनुमानित 30,000 करोड़ रुपये की संपत्ति से जुड़े पारिवारिक विवाद में एक अहम मोड़ दिया। संजय कपूर की विधवा प्रिया सचदेव कपूर ने अदालत में अभिनेता करिश्मा कपूर के बच्चों से संपत्ति का ब्योरा देने से पहले गैर-प्रकटीकरण समझौते (एनडीए) पर हस्ताक्षर की मांग की थी।
न्यायमूर्ति ज्योति सिंह ने इस गोपनीयता की मांग पर सवाल उठाए। उन्होंने पूछा कि क्या अदालत की प्रक्रिया में सीमित जानकारी को सीलबंद लिफाफे में देने की अनुमति दी जा सकती है। उन्होंने कहा, "मुझे वह फैसला दिखाइए जो इस तरह की गोपनीयता को अनुमति देता हो।"
प्रिया सचदेव ने कहा कि वह संपत्ति का खुलासा करने से कतरा नहीं रही हैं, लेकिन साइबर सुरक्षा और वित्तीय विवरण की संवेदनशीलता का हवाला दिया। उन्होंने मीडिया लीक और अदालत के बाहर प्रेस कॉन्फ्रेंस पर असंतोष जताया और कहा कि जनता को बैंक विवरण तक पहुंच क्यों होनी चाहिए।
वहीं, करिश्मा कपूर के बच्चों के वकील ने एनडीए का विरोध किया। उनका तर्क था कि एनडीए उनकी वसीयत पर सवाल उठाने की क्षमता को बाधित करता है। उन्होंने कहा कि बताए गए बैंक खातों की रकम पहले ही समाप्त हो चुकी है।
न्यायमूर्ति सिंह ने प्रिया को संजय कपूर की कथित वसीयत अदालत में जमा करने का आदेश दिया। उन्होंने लिखित बयान में पूरी पारदर्शिता बनाए रखने पर जोर दिया।
यह विवाद संजय कपूर की 21 मार्च की वसीयत से जुड़ा है। इसमें उनकी सारी संपत्ति प्रिया के नाम की गई है। बच्चों का दावा है कि उन्हें वसीयत के बारे में जानकारी नहीं दी गई और वे संपत्ति में अपने हिस्से के लिए पाँचवां हिस्सा मांग रहे हैं।
प्रिया सचदेव ने मुकदमे को विचारणीय नहीं बताया और बच्चों के दावों पर सवाल उठाए। उन्होंने संजय की विधवा होने का दावा दोहराया।
इस बीच, संजय कपूर की मां रानी कपूर ने भी वसीयत का ब्यौरा मांगा। उनका कहना है कि वे 10,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति खो चुकी हैं और ‘बिना छत के’ रह गई हैं।