Up Kiran, Digital Desk: हर साल की तरह इस साल भी सर्दियां आते ही दिल्ली की हवा में ज़हर घुलने लगा है और आसमान पर एक भूरे रंग की चादर यानी स्मॉग (smog) ने डेरा डाल लिया है. दिल्ली की वायु गुणवत्ता 'बहुत खराब (Very Poor) श्रेणी में पहुंच गई है, जिससे लोगों को सांस लेने में दिक्कत और आंखों में जलन जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.
इस भयावह स्थिति को देखते हुए कांग्रेस की वरिष्ठ नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने चिंता जताई है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता और केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव से इस मामले में तुरंत हस्तक्षेप करने की अपील की है.
दिल्ली के ऊपर एक गंदा कफन प्रियंका गांधी
केरल के वायनाड से सांसद प्रियंका गांधी, बिहार के बछवाड़ा में चुनाव प्रचार करने के बाद जब दिल्ली लौटीं, तो यहां की हवा की हालत देखकर वह चौंक गईं.
उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'X' पर एक पोस्ट में वायनाड और दिल्ली की हवा की तुलना करते हुए लिखा कि राजधानी को प्रदूषण ने एक गंदे भूरे कफन की तरह ढक लिया है. प्रियंका ने आगे कहा, अब समय आ गया है कि सभी लोग अपनी राजनीतिक मजबूरियों को किनारे रखकर इस समस्या के समाधान के लिए एक साथ आएं. उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार को तुरंत कदम उठाने चाहिए और विपक्ष इस काम में पूरा सहयोग करेगा.
प्रियंका ने अपनी पोस्ट में उन लोगों के लिए तत्काल मदद की मांग की जो सांस की बीमारियों से जूझ रहे हैं, साथ ही स्कूल जाने वाले बच्चों और बुजुर्गों का भी जिक्र किया, जो इस जहरीली हवा से सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं.
दिल्लीवालों का क्या हाल?
इस राजनीतिक बयानबाजी के बीच, दिल्ली के लोग जहरीली हवा में सांस लेने को मजबूर हैं. रविवार सुबह शहर का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) बहुत खराब श्रेणी में बना रहा. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अनुसार, हवा की गति कम होने के कारण प्रदूषक तत्व एक जगह जमा हो गए हैं, जिससे हालात और बिगड़ गए हैं.
आंकड़ों के मुताबिक, दिल्ली के 17 निगरानी स्टेशनों पर वायु गुणवत्ता गंभीर (400 से ऊपर) दर्ज की गई, जिसमें वज़ीरपुर में AQI 439 के साथ सबसे खराब रहा. वहीं, 20 अन्य स्टेशनों पर AQI 300 से ऊपर बहुत खराब श्रेणी में रहा.
यह हर साल की कहानी बन चुकी है, जहां नेता एक-दूसरे पर आरोप लगाते रहते हैं और आम जनता अपनी सेहत की कीमत चुकाती है. अब देखना यह होगा कि इस बार सरकारें इस गंभीर समस्या से निपटने के लिए क्या ठोस कदम उठाती हैं.
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