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Up kiran,Digital Desk : आपके बच्चे के हाथ में चिप्स का पैकेट नहीं, बीमारियों का एक बंडल है! यह बात अब कोई डराने वाली कहावत नहीं, बल्कि एक कड़वी सच्चाई बन चुकी है, जिस पर UNICEF ने भी अपनी मुहर लगा दी है।

दुनिया भर से आई एक रिपोर्ट ने हम सभी की नींद उड़ा दी है। पहली बार ऐसा हुआ है कि दुनिया में कम वजन वाले बच्चों से ज्यादा संख्या मोटे बच्चों की हो गई है। यह सिर्फ बाहर के देशों की कहानी नहीं है, बल्कि हमारे भारत, हमारे शहरों और हमारे घरों तक पहुंच चुकी एक बहुत बड़ी स्वास्थ्य समस्या है।

जयपुर में बज रही है खतरे की घंटी

राजधानी जयपुर के सबसे बड़े बच्चों के अस्पताल (जेके लोन) के जाने-माने डॉक्टर प्रियांशु माथुर बताते हैं कि अब उनके पास आने वाले छोटे-छोटे बच्चों में मोटापा एक आम बात हो गई है। और यह मोटापा अपने साथ ला रहा है ऐसी बीमारियां, जो पहले सिर्फ बड़े-बुजुर्गों में सुनने को मिलती थीं।

कौन हैं इस मोटापे के असली गुनहगार?

  • पैकेट वाले दुश्मन: चिप्स, इंस्टेंट नूडल्स, मीठे जूस और बिस्कुट अब बच्चों का पेट भर रहे हैं।
  • मोबाइल और टीवी: पार्क और मैदानों की जगह अब मोबाइल, टीवी और वीडियो गेम्स ने ले ली है। बच्चे घंटों एक ही जगह बैठे रहते हैं, जिससे उनका शरीर कोई मेहनत नहीं करता।

इसका नतीजा यह हो रहा है कि छोटी सी उम्र में ही बच्चों को डायबिटीज (शुगर) और हाई कोलेस्ट्रॉल जैसी गंभीर बीमारियां घेर रही हैं। यह सिर्फ उनके शरीर पर ही नहीं, बल्कि उनके मन और दिमाग पर भी बहुत बुरा असर डाल रहा है।

अब हमें क्या करना होगा?

डॉक्टरों और विशेषज्ञों का साफ कहना है कि अगर हम अब भी नहीं जागे, तो आने वाले कुछ सालों में यह एक बहुत बड़े संकट का रूप ले लेगा। इससे बचने के लिए हमें मिलकर कुछ जरूरी कदम उठाने होंगे:

  1. घर के खाने की आदत डालें: बच्चों को ताजे फल, सब्जियां और घर का बना पौष्टिक खाना खिलाने की आदत डालें।
  2. बच्चों को बाहर खेलने भेजें: उनका स्क्रीन टाइम कम करें और उन्हें रोज कम से कम एक घंटा बाहर दौड़ने-भागने और खेलने के लिए encourge करें।
  3. स्कूलों की जिम्मेदारी: स्कूलों को भी अपनी कैंटीन में जंक फूड की बिक्री पर रोक लगानी चाहिए।

यह लड़ाई सिर्फ एक परिवार की नहीं है, बल्कि हम सभी को मिलकर लड़नी होगी ताकि हमारे बच्चे एक स्वस्थ और खुशहाल जीवन जी सकें।