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Up Kiran, Digital Desk:  ग्रेटर नोएडा स्थित शारदा यूनिवर्सिटी एक बार फिर गंभीर विवादों के बीच आ गई है। बीडीएस द्वितीय वर्ष की छात्रा ज्योति की आत्महत्या ने न केवल परिसर को हिला दिया, बल्कि देशभर में छात्र सुरक्षा और मानसिक स्वास्थ्य पर बहस को भी जन्म दे दिया है। हरियाणा के गुरुग्राम से आई इस छात्रा की मौत के पीछे जो सवाल उठे हैं, वे शिक्षा व्यवस्था की गंभीर खामियों की ओर इशारा करते हैं।

हॉस्टल के कमरे में मिली लाश, छोड़ा गया सुसाइड नोट

ज्योति का शव मंडेला गर्ल्स हॉस्टल के कमरे में पंखे से लटका हुआ मिला। शुरुआती जांच में यह स्पष्ट हो गया कि यह आत्महत्या का मामला है, लेकिन घटना के बाद जो कुछ सामने आया, उसने विश्वविद्यालय प्रशासन और फैकल्टी पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। पुलिस को मौके से एक सुसाइड नोट बरामद हुआ है, जिसमें दो शिक्षकों – महेंद्र सर और शैरी मैम – पर मानसिक उत्पीड़न का गंभीर आरोप लगाया गया है।

सुसाइड नोट में छात्रा ने साफ लिखा है कि उसकी मौत के लिए डेंटल विभाग और PCP विभाग के ये दोनों शिक्षक सीधे तौर पर जिम्मेदार हैं। उसने यह भी उल्लेख किया कि उसे लगातार अपमानित किया गया और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया, जिसके चलते वह लंबे समय से अवसाद में थी।

‘मुझे उन्होंने तोड़ा, अब वे भी भुगतें’

अपनी आखिरी चिट्ठी में ज्योति ने लिखा – "मैं चाहती हूं कि वे जेल जाएं। उन्होंने मेरी मानसिक स्थिति को इस कदर बिगाड़ा कि अब मैं इसे और सहन नहीं कर सकती। मुझे बार-बार अपमानित किया गया। सॉरी, अब मैं नहीं जी सकती।” यह पंक्तियां न केवल उसकी पीड़ा को बयान करती हैं, बल्कि विश्वविद्यालय के भीतर चल रहे एक अनदेखे दबाव की भी कहानी कहती हैं।

हंगामा और विरोध: छात्र न्याय की मांग पर अड़े

इस दर्दनाक घटना के बाद विश्वविद्यालय के छात्रों में भारी रोष है। कैंपस में प्रदर्शन हुए, जहां छात्राओं ने प्रबंधन और दोषी फैकल्टी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की। घटनास्थल पर पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच तीखी बहस भी हुई। हालात तनावपूर्ण होते देख पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ा।

वहीं, विश्वविद्यालय प्रशासन ने तत्काल प्रभाव से दोनों आरोपी प्रोफेसरों को निलंबित कर दिया है। शारदा यूनिवर्सिटी के पब्लिक रिलेशन ऑफिसर डॉ. अजीत कुमार ने प्रेस को जानकारी देते हुए कहा, "जांच के बाद जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।"

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