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Up Kiran, Digital Desk: हम हिंदुस्तानी, सुबह उठते ही सबसे पहले गरमा-गरम चाय की चुस्की के बिना अपने दिन की शुरुआत करने की सोच भी नहीं सकते. हमारे लिए चाय सिर्फ एक पेय नहीं, बल्कि दोस्ती, आराम और मेहमाननवाज़ी का प्रतीक है. सुबह की अलसाई अंगड़ाई हो या दोपहर की थकावट, शाम की दोस्तों की गपशप हो या रात की सुकून भरी बातचीत – चाय हर पल का साथी है. लेकिन इस प्यारी सी आदत के साथ एक कड़वी सच्चाई भी जुड़ी है, और वो है हमारी 'मीठी चाय' की लत, जिसके गंभीर स्वास्थ्य परिणाम हो सकते हैं, खासकर तब जब हमारे देश में मधुमेह (डायबिटीज) एक बड़ी चुनौती बनकर उभर रहा है.

हमारी मीठी चाय की लत और सेहत का सवाल

एक जानी-मानी डाइटिशियन का कहना है कि यह एक विडंबना ही है कि हम इतनी तेजी से बढ़ती डायबिटीज के खतरे के बावजूद अपनी चाय में चीनी की मात्रा को कम करने को तैयार नहीं हैं. हमारे देश में मीठी चाय इतनी आम है कि हम बिना सोचे समझे हर दिन 3 से 4 कप चाय पी जाते हैं, और हर कप में एक से दो चम्मच चीनी आसानी से डलवा लेते हैं. इसका मतलब है कि हम जाने-अनजाने में बहुत अधिक चीनी का सेवन कर रहे हैं.

डायबिटीज से सीधा कनेक्शन: डाइटिशियन का कहना है कि अधिक चीनी वाली चाय सिर्फ वजन ही नहीं बढ़ाती, बल्कि सीधे तौर पर इंसुलिन रेजिस्टेंस को जन्म देती है, जो टाइप 2 डायबिटीज का एक प्रमुख कारण है. हर बार जब आप अपनी चाय में चीनी डालते हैं, तो आप अपने शरीर में रक्त शर्करा (ब्लड शुगर) के स्तर को तेज़ी से बढ़ा रहे होते हैं. छिपे हुए खतरे: मीठी चाय से होने वाले नुकसान सिर्फ डायबिटीज तक सीमित नहीं हैं. इससे मोटापे की समस्या, दिल की बीमारियां और दाँतों की सड़न भी हो सकती है.

एक छोटा बदलाव, बड़ी बचत

डाइटिशियन इस आदत को बदलने के लिए एक सरल लेकिन प्रभावी समाधान बताती हैं: अपनी चाय में धीरे-धीरे चीनी कम करें. उनका सुझाव है कि एक ही बार में पूरी चीनी छोड़ देने की बजाय, पहले आधे चम्मच चीनी का इस्तेमाल करें, फिर धीरे-धीरे और कम करते जाएँ. हो सके तो कुछ हफ्तों बाद बिल्कुल चीनी न डालें. इससे आपके स्वाद को एडजस्ट होने का समय मिलेगा.

कम चीनी वाली चाय के फायदे: जब आप कम चीनी वाली चाय पिएंगे, तो आपको न सिर्फ डायबिटीज से बचाव में मदद मिलेगी, बल्कि आपका समग्र स्वास्थ्य भी सुधरेगा. आपकी ऊर्जा का स्तर स्थिर रहेगा और आप अधिक सचेत महसूस करेंगे. विकल्प अपनाएं: अगर आप चाय में मीठा चाहते हैं, तो आप खजूर पाउडर (डेट पाउडर), स्टीविया (stevia) या थोड़ी सी शहद का इस्तेमाल कर सकते हैं, लेकिन इनमें भी संयम ज़रूरी है. इसके अलावा, हर्बल चाय (Herbal tea) या ग्रीन टी (Green tea) को अपनी दिनचर्या में शामिल करें.

हमारी 'चाय की आदत' हमें बीमार न कर दे, इसके लिए समय रहते बदलाव करना ज़रूरी है. यह एक छोटी सी पहल है, जो बड़े स्वास्थ्य लाभ दे सकती है. तो, अगली बार जब आप चाय बनाएँ, तो एक बार फिर से अपनी चीनी की आदत के बारे में ज़रूर सोचें.