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Up Kiran, Digital Desk: बिहार विधानसभा चुनाव में अपनी पार्टी जनसुराज को एक भी सीट न मिलने के बाद करीब बीस दिन तक चुप रहे प्रशांत किशोर ने आखिरकार अपनी खामोशी तोड़ी है। बुधवार को एक निजी चैनल को दिए लंबे इंटरव्यू में पूर्व चुनावी रणनीतिकार ने कई साफगोई भरे बयान दिए और हार की जिम्मेदारी भी खुद पर ली।

सबसे बड़ी बात जो उन्होंने कही वह यह कि “मैंने खुद चुनाव लड़ने का फैसला नहीं लिया। शायद यही मेरी सबसे बड़ी गलती रही।” प्रशांत ने माना कि उन्हें उम्मीद थी कि जनसुराज कम से कम दहाई अंक में वोट जरूर ले आएगी लेकिन हकीकत यह रही कि पार्टी को पूरे राज्य में चार फीसदी से भी कम वोट मिले। उन्होंने कहा “हमने कभी सोचा भी नहीं था कि वोट प्रतिशत इतना नीचे चला जाएगा। शायद और ज्यादा मेहनत की जरूरत थी।”

चुनाव नतीजे आने के बाद से यह सवाल हर किसी की जुबान पर था कि क्या प्रशांत किशोर अब राजनीति से संन्यास ले लेंगे। इस पर उनका सीधा जवाब था “मैं किस पद पर हूं जो छोड़ दूं?” उन्होंने दो टूक कहा कि बिहार के लोगों का दिल जीते बिना वे पीछे नहीं हटेंगे। बिहार की समस्याओं को हल करना उनका संकल्प है और इसमें जितना भी वक्त लगे वे लगाएंगे।

नीतीश कुमार और जेडीयू पर तंज कसते हुए प्रशांत ने कहा कि अगर चुनाव से पहले दस हजार रुपये वाली योजना और छह महीने में दो लाख रुपये स्वरोजगार लोन का ऐलान न हुआ होता तो जेडीयू पच्चीस सीट भी नहीं जीत पाती। उन्होंने चुनौती भरे लहजे में कहा “अगर नीतीश सरकार अगले छह महीने में दो लाख रुपये का स्वरोजगार लोन हर जरूरतमंद को दे देती है तो हम राजनीति छोड़ देंगे।”