
Up Kiran,Digitl Desk: मिसाइल मैन' और 'जनता के राष्ट्रपति' डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का जीवन हम सभी के लिए एक खुली किताब की तरह है, जिससे हर पन्ने पर प्रेरणा मिलती है। लेकिन उनके जीवन के कुछ ऐसे भी किस्से हैं जो हमें सिखाते हैं कि कैसे एक छोटी सी घटना भी किसी इंसान की सोच और भविष्य की दिशा बदल सकती है। ऐसा ही एक दिल छू लेने वाला किस्सा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुनाया था, जो डॉ. कलाम की पहली ट्रेन यात्रा से जुड़ा है।
आज विश्व छात्र दिवस (15 अक्टूबर) के मौके पर, जो डॉ. कलाम के जन्मदिन के सम्मान में मनाया जाता है, आइए उस अविस्मरणीय यात्रा को याद करें।
क्या था वो यादगार किस्सा: प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि जब डॉ. कलाम सिर्फ 10 साल के थे, तब उन्होंने अपने जीवन में पहली बार अपने गृहनगर रामेश्वरम से बाहर की दुनिया देखी थी। यह मौका उन्हें उनके एक रिश्तेदार ने दिया था, जो उन्हें अपने साथ ट्रेन से एक यात्रा पर ले गए थे।
उस रात, जब ट्रेन पंबन ब्रिज (Pamban Bridge) के ऊपर से गुजर रही थी, तो छोटे से कलाम ने एक ऐसा नजारा देखा जिसने उनके मन पर गहरी छाप छोड़ दी। उन्होंने देखा कि विशाल समुद्र के ऊपर बना यह अद्भुत पुल कैसे खुलता है और नीचे से बड़े-बड़े जहाज निकल जाते हैं। यह इंजीनियरिंग का एक ऐसा चमत्कार था, जिसे देखकर उनकी बाल सुलभ जिज्ञासा जाग उठी।
एक सवाल जिसने बदल दी सोच
उन्होंने तुरंत अपने रिश्तेदार से पूछा, "इतने बड़े समुद्र पर यह पुल किसने और कैसे बनाया होगा?"
पीएम मोदी ने बताया कि यही वह पल था, यही वह सवाल था, जिसने नन्हे कलाम के मन में विज्ञान और टेक्नोलॉजी के प्रति एक ऐसी चिंगारी जला दी जो आगे चलकर एक मशाल बनी। इस एक यात्रा ने उन्हें यह एहसास दिलाया कि अगर इंसान ठान ले, तो वह असंभव को भी संभव बना सकता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि डॉ. कलाम की यह कहानी हमें सिखाती है कि हमारे आसपास की दुनिया में ही सीखने और प्रेरित होने के कितने अवसर छिपे होते हैं। बस जरूरत है तो कलाम जैसी जिज्ञासा और नजर की। उस एक ट्रेन यात्रा ने न केवल भारत को उसका 'मिसाइल मैन' दिया, बल्कि करोड़ों युवाओं को यह सपना देखने की हिम्मत भी दी कि वे भी कुछ भी हासिल कर सकते हैं।