Up Kiran, Digital Desk: सरकार ने फिर से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को मजबूत बनाने के लिए नए विलय की योजना पर काम शुरू कर दिया है। इस बार छोटे सरकारी बैंक बड़े बैंकों के साथ जुड़कर एक ठोस इकाई बनने वाले हैं। इस प्रक्रिया का उद्देश्य न केवल बैंकिंग व्यवस्था को सुगठित करना है, बल्कि ग्राहकों को बेहतर सेवाएं देना भी माना जा रहा है। विशेषज्ञों के मुताबिक, इससे बैंकिंग प्रणाली में पारदर्शिता बढ़ेगी और वित्तीय समावेशन को और गति मिलेगी।
कौन से बैंक होंगे मर्ज?
सूत्रों के अनुसार, इंडियन ओवरसीज बैंक, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ इंडिया और बैंक ऑफ महाराष्ट्र जैसे छोटे बैंकों को पंजाब नेशनल बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया जैसे दिग्गज बैंकों में शामिल किया जा सकता है। यह विलय न केवल बैंकिंग क्षेत्र को सुदृढ़ बनाएगा बल्कि पूंजी और संसाधनों के बेहतर उपयोग की संभावना भी बढ़ाएगा।
योजना की मंजूरी का तरीका
सरकार ने इस प्रस्ताव पर गहन विचार शुरू कर दिया है। कैबिनेट की वरिष्ठ बैठक में इसकी चर्चा होगी और फिर प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) से मंजूरी ली जाएगी। इस योजना पर वित्त वर्ष 2027 तक अंतिम निर्णय लिए जाने की उम्मीद है। साथ ही, प्रस्तावित विलय से जुड़े सभी बैंकों की प्रतिक्रिया भी इस प्रक्रिया में शामिल होगी ताकि सभी पक्षों की सहमति मिल सके। अधिकारियों का कहना है कि जल्दबाजी में कोई फैसला नहीं होगा और सार्वजनिक हित को सर्वोपरि रखा जाएगा।
इतिहास से सीख: पिछली विलय प्रक्रिया की झलक
यह कदम उस समय उठाया जा रहा है जब सरकार ने 2017 से 2020 के बीच सार्वजनिक बैंकों के पुनर्गठन का सफल मॉडल अपनाया था। उस दौरान 27 बैंकों को 12 में समेट दिया गया था। उदाहरण के लिए ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स और यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया का विलय पंजाब नेशनल बैंक में हुआ था, जबकि सिंडिकेट बैंक का केनरा बैंक में मर्ज किया गया था। इन विलयों ने बैंकिंग क्षेत्र को अधिक प्रतिस्पर्धी और भरोसेमंद बनाया।
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