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छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में नक्सलियों के आत्मसमर्पण की खबरें बढ़ रही हैं, जो स्थानीय जनता के लिए राहत और विकास की नई उम्मीद लेकर आई हैं। खासकर कांकेर जिले में हाल ही में 100 से अधिक नक्सलियों का आत्मसमर्पण इस दिशा में एक बड़ी सफलता माना जा रहा है। ये नक्सली बीएसएफ कैंप में पहुंचकर सरकार के पुनर्वास और सुरक्षा प्रावधानों का लाभ लेने को तैयार हुए हैं।

महिलाओं की भागीदारी और आत्मसमर्पण का सामाजिक प्रभाव

कोंडागांव जिले की पूर्वी बस्तर डिवीजन की प्रमुख महिला नक्सली गीता उर्फ कमली सलाम ने भी आत्मसमर्पण कर दिया है। पांच लाख रुपये के इनामी रैंक वाली गीता ने यह कदम शासन की विकास योजनाओं, बेहतर सड़कों, मोबाइल नेटवर्क के विस्तार, बिजली और पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं से प्रेरित होकर उठाया। उनके इस कदम से दिखता है कि किस तरह बेहतर प्रशासन और विकास कार्य नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में शांति और स्थिरता ला सकते हैं।

सुरक्षा और प्रशासन की सक्रियता

कांकेर में आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों में कई वरिष्ठ कमांडर भी शामिल हैं, जिनमें राजू सलाम जैसे कुख्यात नेता भी हैं। राजू सलाम, जो कंपनी नंबर 5 के कमांडर थे, ने पिछले दो दशकों में कई घटनाओं की योजना बनाई। अधिकारियों का मानना है कि इस बड़ी संख्या में नक्सलियों के मुख्यधारा में लौटने से क्षेत्र में नक्सलवाद समाप्ति की प्रक्रिया तेज होगी। सुरक्षा कारणों से बीएसएफ कैंप में हाई अलर्ट जारी है और पुलिस अब आत्मसमर्पण करने वालों की पहचान कर रही है। जल्द ही इन्हें जिला या संभागीय मुख्यालय पर मीडिया के सामने भी पेश किया जाएगा।

विकास के फलस्वरूप बदलता माहौल

स्थानीय निवासियों के लिए यह आत्मसमर्पण उम्मीद की किरण है कि शासन की जनकल्याणकारी योजनाएं, बेहतर यातायात व्यवस्था और संचार सुविधाएं धीरे-धीरे क्षेत्र में स्थिरता ला रही हैं। विकास की इस प्रक्रिया ने नक्सल प्रभावित इलाके के लोगों की जिंदगी में बदलाव की राह खोली है। गीता जैसे नक्सलियों का मुख्यधारा में आना इस बदलाव का बड़ा संकेत है।