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Up Kiran, Digital Desk: बिहार के सनोखर थाना क्षेत्र के बेलडीहा गांव में बुधवार की सुबह एक मासूम बच्ची की दर्दनाक मौत ने पूरे इलाके को झकझोर कर रख दिया। 10 वर्षीय अनु प्रिया जो झारखंड के गोड्डा जिले की रहने वाली थी अपनी नानी के घर कुछ दिन के लिए आई थी। लेकिन किसे पता था कि यह यात्रा उसकी आखिरी बन जाएगी।

हादसे की दिल दहला देने वाली कहानी

बेलडीहा गांव में पंचायत द्वारा कचरा उठाने के लिए लगाए गए एक ई-रिक्शा ने अनु प्रिया की जान ले ली। चश्मदीदों के मुताबिक ई-रिक्शा सड़क किनारे खड़ा था और चालक गांव से कचरा इकट्ठा कर उसे गाड़ी में डाल रहा था। ई-रिक्शा की चाबी गाड़ी में ही लगी हुई थी और वहीं पास में खेल रही अनु प्रिया उत्सुकता में वाहन पर चढ़ गई।

अचानक उसने एक्सीलेरेटर घुमा दिया और ई-रिक्शा तेज गति से सड़क किनारे खाई में जा गिरा। बच्ची उसी के नीचे दब गई। स्थानीय लोगों ने तत्परता दिखाते हुए गाड़ी हटाकर बच्ची को बाहर निकाला लेकिन तब तक उसके सिर पर गंभीर चोट लग चुकी थी और अत्यधिक रक्तस्राव हो चुका था। महागामा अस्पताल ले जाते वक्त रास्ते में ही अनु प्रिया ने दम तोड़ दिया।

लापरवाही का खुलासा: कौन है ज़िम्मेदार

इस हादसे में केवल एक मासूम जान नहीं गई बल्कि पंचायत की व्यवस्थाओं की लापरवाही भी उजागर हो गई। पंचायत की ओर से ई-रिक्शा चलाने की ज़िम्मेदारी सिलहन गांव के सुभाष पासवान को दी गई थी। लेकिन हादसे के वक्त गाड़ी उनके पिता अभय पासवान चला रहे थे जो पेशेवर चालक नहीं हैं। यहां तक कि यह भी सामने आया कि सुभाष को खुद वाहन चलाना नहीं आता।

यह गैरजिम्मेदारी न केवल नियमों का उल्लंघन है बल्कि एक जानलेवा भूल भी साबित हुई। लोगों का सवाल बिल्कुल जायज़ है: जब चालक प्रशिक्षित नहीं था तो उसे जिम्मेदारी क्यों सौंपी गई।

 

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