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Up Kiran, Digital Desk: उत्तराखंड पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (यूपीसीएल) एक बार फिर सवालों के घेरे में है। राज्य के कुमाऊं मंडल में बिजली कनेक्शन जारी करने को लेकर गंभीर अनियमितताओं का मामला सामने आया है। विद्युत नियामक आयोग के संज्ञान में ये खुलासा हुआ है कि यूपीसीएल ने बिना ज़मीन स्वामित्व से जुड़े आवश्यक दस्तावेज लिए ही 300 से अधिक ट्यूबवेल कनेक्शन मंजूर कर दिए।

इस पूरे प्रकरण ने न सिर्फ बिजली वितरण प्रणाली की पारदर्शिता पर सवाल खड़े कर दिए हैं बल्कि नियामक व्यवस्था की अनदेखी का भी उदाहरण पेश किया है।

रेगुलेशन की धज्जियां, मनमानी का खेल

2020 में जारी विद्युत नियामक आयोग के दिशा-निर्देश स्पष्ट रूप से ये निर्धारित करते हैं कि किसी भी नए बिजली कनेक्शन के लिए ज़मीन की वैध स्वामित्व प्रमाणिकता जरूरी है। बावजूद इसके यूपीसीएल के अफसरों ने रुद्रपुर, हल्द्वानी, काशीपुर, चंपावत, रामनगर, बाजपुर, सितारगंज और खटीमा क्षेत्रों में नियमों को ताक पर रखकर कनेक्शन जारी कर दिए।

बताया जा रहा है कि संबंधित उपभोक्ताओं से तीन गुना अधिक सिक्योरिटी राशि लेकर निजी ट्यूबवेल के लिए बिजली कनेक्शन जारी किए गए। ये ना सिर्फ अनुचित वित्तीय बोझ डालने का मामला है बल्कि नीति उल्लंघन की भी पराकाष्ठा है।

नियामक आयोग का हस्तक्षेप, जवाबतलबी शुरू

जैसे ही ये मामला उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग के पास पहुंचा, आयोग ने सख्त रुख अपनाते हुए यूपीसीएल के प्रबंध निदेशक, निदेशक (ऑपरेशन), चीफ इंजीनियर (कुमाऊं व रुद्रपुर) सहित हल्द्वानी, काशीपुर, रामनगर, बाजपुर, चंपावत, सितारगंज, खटीमा के संबंधित अधिशासी अभियंताओं को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया।

अब तक इस मामले में विस्तृत सुनवाई हो चुकी है और आयोग ने निर्णय सुरक्षित रख लिया है, जिससे ये संकेत मिल रहा है कि यूपीसीएल को भारी जुर्माने के साथ-साथ विभागीय कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है।

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