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कांग्रेस नेता शशि थरूर ने एक बार फिर आपातकाल को लेकर अपनी ही पार्टी पर सवाल खड़े कर दिए हैं। उन्होंने 1975 में लगाए गए आपातकाल को भारतीय लोकतंत्र का "काला अध्याय" बताया और कहा कि अब देश बदल चुका है, यह 1975 का भारत नहीं रहा।

शशि थरूर ने एक कार्यक्रम में बोलते हुए कहा कि आपातकाल का फैसला गलत था और इससे लोकतंत्र को नुकसान पहुंचा। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र की रक्षा के लिए हर भारतीय को सजग रहना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि आज की पीढ़ी को यह समझना होगा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, न्याय और कानून का शासन कितने महत्वपूर्ण हैं।

थरूर के इस बयान के बाद सियासी हलचल तेज हो गई है। विपक्षी दलों ने उनके बयान का समर्थन किया है, जबकि कांग्रेस पार्टी ने इस पर चुप्पी साध ली है। यह पहली बार नहीं है जब शशि थरूर ने आपातकाल को लेकर अपनी असहमति जताई हो। इससे पहले भी वह सार्वजनिक मंचों पर इस मुद्दे को उठा चुके हैं।

उन्होंने कहा कि अब का भारत लोकतंत्र को बेहतर तरीके से समझता है और यहां की जनता जागरूक है। उन्होंने कहा कि हमें अतीत से सीख लेनी चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी गलतियां न दोहराई जाएं।

शशि थरूर का यह बयान ऐसे समय आया है जब देश में इमरजेंसी के 50 साल पूरे होने की चर्चा हो रही है। कई राजनीतिक दल इसे याद करके जनता को संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसे में थरूर का यह बयान कांग्रेस के लिए असहज स्थिति पैदा कर सकता है।

 

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