
Up kiran Live , Digital Desk: गर्भावस्था एक महिला के जीवन का सबसे भावनात्मक, रोमांचक और चुनौतीपूर्ण समय होता है। इस दौरान शरीर में शारीरिक और हार्मोनल कई बड़े बदलाव आते हैं, जिनके लिए अतिरिक्त देखभाल और सही पोषण बेहद जरूरी होता है। एक संतुलित और पौष्टिक आहार न केवल मां की सेहत को सुरक्षित रखता है, बल्कि शिशु के संपूर्ण विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
फरीदाबाद स्थित क्लाउडनाइन अस्पताल की कंसल्टेंट और स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. शैली शर्मा के अनुसार, गर्भवती महिलाओं की डाइट को विशेष रूप से कुछ प्रमुख पोषक तत्वों पर केंद्रित होना चाहिए। आइए जानते हैं, इस महत्वपूर्ण दौर में कैसी होनी चाहिए एक आदर्श डाइट।
गर्भवती महिलाओं के लिए जरूरी पोषक तत्व और खाद्य पदार्थ
1. प्रोटीन युक्त आहार: कोशिकाओं के निर्माण के लिए जरूरी
प्रोटीन शरीर की हर कोशिका का आधार होता है। गर्भावस्था के दौरान इसका महत्व और भी बढ़ जाता है क्योंकि यह न केवल मां के शरीर की कोशिकाओं के निर्माण और मरम्मत में मदद करता है, बल्कि भ्रूण के ऊतकों और अंगों के विकास में भी अहम भूमिका निभाता है।
प्रोटीन युक्त आहार के स्रोत:
दालें (चना, मसूर, मूंग)
दूध और डेयरी प्रोडक्ट्स (दही, पनीर)
अंडे और चिकन
नट्स और बीज
सुझाव: हर रोज 70-100 ग्राम प्रोटीन का सेवन करने की सलाह दी जाती है, लेकिन अपनी आवश्यकताओं के अनुसार डॉक्टर से परामर्श लेना बेहतर रहेगा।
2. आयरन युक्त आहार: एनीमिया से बचाव के लिए
गर्भावस्था के दौरान शरीर में खून की मात्रा बढ़ती है, जिससे आयरन की मांग दोगुनी हो जाती है। आयरन की पर्याप्त मात्रा न होने पर एनीमिया का खतरा बढ़ जाता है, जिससे मां और बच्चे दोनों की सेहत खतरे में पड़ सकती है।
आयरन युक्त आहार के स्रोत:
पालक, चुकंदर
अनार और सेब
गुड़
ड्राई फ्रूट्स (खजूर, किशमिश)
सुझाव: आयरन के साथ विटामिन सी युक्त फलों (जैसे संतरा) का सेवन करें, ताकि आयरन का अवशोषण बेहतर हो सके।
3. कैल्शियम युक्त आहार: हड्डियों की मजबूती के लिए
कैल्शियम मां की हड्डियों को मजबूत बनाए रखने के साथ-साथ शिशु के दांतों और हड्डियों के विकास में भी मदद करता है। अगर मां की डाइट में कैल्शियम की कमी हो तो यह उसकी हड्डियों से निकलने लगता है, जिससे भविष्य में ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा बढ़ जाता है।
कैल्शियम युक्त आहार के स्रोत:
दूध, दही, पनीर
बादाम
ब्रोकली और हरी पत्तेदार सब्जियां
सुझाव: रोजाना कम से कम 1000 मिलीग्राम कैल्शियम का सेवन करना चाहिए।
4. फोलिक एसिड: जन्म दोषों से बचाव के लिए
फोलिक एसिड गर्भावस्था के दौरान नर्वस सिस्टम के सही विकास के लिए आवश्यक है। यह न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट्स जैसे गंभीर जन्म दोषों को रोकने में मदद करता है।
फोलिक एसिड के स्रोत:
हरी पत्तेदार सब्जियां
संतरा और नींबू
ब्रोकली
फोर्टिफाइड ब्रेकफास्ट सीरियल्स
सुझाव: प्रेग्नेंसी प्लानिंग करते समय से ही फोलिक एसिड सप्लीमेंट लेना शुरू कर देना चाहिए।
5. ओमेगा-3 फैटी एसिड: दिमागी विकास के लिए आवश्यक
ओमेगा-3 फैटी एसिड शिशु के दिमाग और आंखों के विकास के लिए जरूरी हैं। ये फैटी एसिड इन्फ्लेमेशन को भी कम करते हैं और मां के दिल को स्वस्थ बनाए रखते हैं।
ओमेगा-3 फैटी एसिड के स्रोत:
सालमन, ट्यूना जैसी फैटी फिश
अखरोट
अलसी और चिया के बीज
सुझाव: यदि आप शाकाहारी हैं, तो फ्लैक्ससीड ऑयल सप्लीमेंट का सेवन करें।
पानी की भूमिका: हाइड्रेशन भी है उतना ही जरूरी
गर्भावस्था में शरीर में फ्लूइड की मांग बढ़ जाती है। रोजाना कम से कम 8-10 गिलास पानी पीना चाहिए। यह कब्ज से बचाता है, शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालता है और एम्नियोटिक फ्लुइड के स्तर को बनाए रखने में मदद करता है।
किस चीज से बचें?
जंक फूड और प्रोसेस्ड फूड
अत्यधिक तला और मसालेदार खाना
अधिक चीनी और नमक का सेवन
कच्चा या अधपका मांस और अंडा
अनपाश्चराइज्ड डेयरी प्रोडक्ट्स
इन चीजों का सेवन न केवल मां के स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर डालता है, बल्कि शिशु के विकास को भी प्रभावित कर सकता है।
व्यक्तिगत जरूरतों के लिए डॉक्टर से परामर्श जरूरी
हर महिला की शारीरिक जरूरतें अलग-अलग होती हैं। इसलिए प्रेग्नेंसी के हर चरण में डॉक्टर से रेगुलर चेकअप कराते रहना और पोषण संबंधी सलाह लेना बहुत जरूरी है। इससे जच्चा और बच्चा दोनों की सेहत को बेहतर ढंग से सुरक्षित रखा जा सकता है।
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