Up Kiran, Digital Desk: उत्तरकाशी जिले के गोविंद वन्य जीव विहार राष्ट्रीय पार्क क्षेत्र में स्थित मटेना नामक तोक आज भी बिजली के अभाव में जी रहा है। यह एक ऐसा गांव है, जहां स्वतंत्र भारत के 78 वर्ष बाद भी लोग अंधेरे में जीवन यापन करने को मजबूर हैं। वहीं, देश के बाकी हिस्सों में 5जी और 6जी नेटवर्क की चर्चा हो रही है, वहीं इस गांव में बिजली के एक बल्ब तक का न चलना, एक बड़ा सवाल खड़ा करता है।
गांव के लोग क्यों परेशान हैं?
मटेना गांव में रहने वाले अनुसूचित जाति के 35 परिवारों की मुश्किलें दिनों-दिन बढ़ रही हैं। उनके पास न तो बिजली की सुविधा है और न ही आधुनिक जीवन के बाकी आवश्यक उपकरणों तक पहुंच है। इन परिवारों की तकलीफों को कई बार शासन और प्रशासन तक पहुंचाया गया है, लेकिन अब तक कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली है। ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन ने उनकी आवाज को नजरअंदाज कर दिया है, जिसके चलते यहां के लोग बहुत परेशान हैं।
ग्राम प्रधान ज्ञान सिंह के अनुसार, गांव के लोग हर दिन की बुनियादी जरूरतों के लिए संघर्ष कर रहे हैं। उन्होंने कहा, "हमारी आवाज को दबाया गया है। हम सिर्फ एक बिजली का बल्ब चाहते हैं, ताकि हमारे बच्चों की पढ़ाई हो सके और हम भी एक सभ्य जीवन जी सकें।"
विद्युत विभाग की सफाई
इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए विद्युत विभाग के अधिशासी अभियंता धर्मवीर ने कहा कि हर गांव के विद्युतीकरण के लिए राजीव गांधी और दीनदयाल उपाध्याय सौभाग्य योजनाएं चलाई गई थीं। हालांकि, मटेना जैसे गांवों के विद्युतीकरण में कोई खामी आई है। विभाग इस पर जांच कर रहा है कि ये बस्तियां विद्युत योजना से बाहर क्यों रह गईं।
धर्मवीर ने बताया, "हम इस समस्या को गंभीरता से ले रहे हैं और जल्द ही इसे सुलझाने की कोशिश करेंगे।"
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