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Up Kiran, Digital Desk: चुनाव आयोग ने देशभर में मतदाता सूची के विशेष गहन सत्यापन अभियान शुरू किया तो पश्चिम बंगाल की सीमा पर कुछ ऐसा नजारा दिखा जो पहले कभी नहीं देखा गया। बीएसएफ के जवानों ने एक ही झटके में करीब साढ़े पांच सौ बांग्लादेशी नागरिकों को उस वक्त पकड़ा जब वे चुपके से भारत छोड़कर अपने देश लौट रहे थे। अधिकारियों के मुताबिक इस साल यह अब तक की सबसे बड़ी संख्या है जब इतने लोग एक साथ वापस जा रहे हों।

सोमवार की सुबह उत्तर 24 परगना जिले के स्वरूपनगर इलाके में हाकिमपुर बॉर्डर चेकपोस्ट के पास 143वीं वाहिनी के जवान गश्त लगा रहे थे। दूर से ही उन्हें बड़ी संख्या में लोग सीमा की ओर बढ़ते दिखे। शक हुआ तो सभी को रोककर पूछताछ शुरू की गई। जो कहानी सामने आई वह चौंकाने वाली थी। ये सभी लोग कई सालों से पश्चिम बंगाल के अलग अलग हिस्सों में रह रहे थे। कोई बिराती में घरेलू नौकर था तो कोई मध्यमग्राम में मजदूरी करता था। राजरहाट न्यू टाउन और सॉल्ट लेक जैसे पॉश इलाकों में भी ये लोग निर्माण स्थलों पर काम करते थे या घरों में सहायक के रूप में रहते थे।

 न पासपोर्ट है न वीजा और न ही कोई वैध पहचान पत्र

पूछताछ में सबने कबूल किया कि उनके पास न पासपोर्ट है न वीजा और न ही कोई वैध पहचान पत्र। भारत में अवैध तरीके से घुसे थे और सालों से यहीं बस गए थे। लेकिन जैसे ही बूथ लेवल अधिकारी घर घर पहुंचकर पुरानी मतदाता सूचियों की पड़ताल करने लगे और 2003 की लिस्ट में नाम पूछने लगे तो इनके होश उड़ गए। जो सवाल पूछे जा रहे हैं उनके जवाब इनके पास नहीं हैं। परिवार के पुराने सदस्यों के नाम तक याद नहीं। बस यही डर इनको रातोंरात बैग उठाकर भागने पर मजबूर कर रहा है।

एक व्यक्ति ने बीएसएफ वालों को बताया कि वह दस साल से ज्यादा वक्त से कोलकाता के एक किराए के मकान में रहता था। किसी के घर में काम करता था और आराम से जिंदगी कट रही थी। लेकिन अब जब घर घर जाकर पुरानी वोटर लिस्ट से नाम मिलाने की बात शुरू हुई तो लगा कि अब पकड़े जाना तय है। इसलिए परिवार समेत वापस बांग्लादेश लौटना ही बेहतर समझा।

यह पहला मामला नहीं है। इसी महीने की शुरुआत में भी सौ के करीब बांग्लादेशी नागरिकों को बीएसएफ ने वापस जाते पकड़ा था। अधिकारियों का कहना है कि मतदाता सूची साफ करने का यह अभियान शुरू होने के बाद से सीमा पर वापस लौटने वालों की तादाद अचानक बढ़ गई है।

बीएसएफ इन लोगों को सीधे वापस नहीं धकेलता। पहले पूरी पहचान तय की जाती है। बुनियादी जानकारी इकट्ठा की जाती है और फिर बांग्लादेश के बॉर्डर गार्ड्स से बात करके निर्धारित प्रक्रिया के तहत इन्हें सौंपा जाता है।

चुनाव आयोग का कहना है कि यह अभियान सिर्फ फर्जी और डुप्लिकेट वोटरों को हटाने के लिए है ताकि आने वाले किसी भी चुनाव में मतदाता सूची पूरी तरह साफ सुथरी रहे। लेकिन सीमा पर जो लोग बिना कागजात के सालों से रह रहे थे उनके लिए यह अभियान किसी डरावने सपने से कम नहीं बन गया है। आने वाले दिनों में ऐसे और लोग वापस लौटते दिखें तो कोई हैरानी नहीं होगी।