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Up Kiran, Digital Desk: आज की तेज़-तर्रार दुनिया में बच्चों की परवरिश करना किसी चुनौती से कम नहीं है। माता-पिता हमेशा इस चिंता में रहते हैं कि अपने बच्चों को एक सुरक्षित, स्वस्थ और खुशहाल बचपन कैसे दिया जाए। टेक्नोलॉजी के बढ़ते दखल, खान-पान की बदलती आदतें और सुरक्षा से जुड़ी नई-नई चुनौतियां इस काम को और भी मुश्किल बना देती हैं। लेकिन घबराइए नहीं! कुछ स्मार्ट और आसान पैरेंटिंग हैक्स अपनाकर आप इन चुनौतियों से निपट सकते हैं और अपने बच्चे के बचपन को खूबसूरत बना सकते हैं।

आइए जानते हैं कुछ ऐसे ही असरदार टिप्स जो हर माता-पिता के काम आएंगे।

घर को बनाएं 'चाइल्ड-प्रूफ' किला:बच्चे स्वभाव से जिज्ञासु होते हैं और घर का कोना-कोना छान मारना उनका पसंदीदा काम है। इसलिए, घर की सुरक्षा सबसे पहले आती है।

नोकीले कोनों को कवर करें: टेबल, बेड और दीवारों के नोकीले कोनों पर कॉर्नर गार्ड लगाएं।

इलेक्ट्रिकल सेफ्टी: सभी बिजली के सॉकेट को कवर करके रखें और तारों को बच्चों की पहुंच से दूर व्यवस्थित करें।

केमिकल्स और दवाओं को रखें ताले में: सफाई करने वाले केमिकल्स, दवाएं और अन्य जहरीली चीजों को हमेशा लॉक वाली अलमारी में रखें।

 पोषण से कोई समझौता नहीं

बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए संतुलित आहार सबसे ज़रूरी है।

'रेनबो' डाइट: बच्चे की थाली को इंद्रधनुष की तरह रंगीन बनाएं। इसमें अलग-अलग रंग के फल और सब्जियां शामिल करें ताकि उसे सभी ज़रूरी विटामिन और मिनरल्स मिल सकें।

जंक फूड को कहें 'ना': बाहर के चिप्स, कैंडी और मीठे ड्रिंक्स की जगह घर पर बने हेल्दी स्नैक्स जैसे फ्रूट चाट, भुने चने या मखाने दें।

पानी है अमृत: बच्चे को दिन भर थोड़ी-थोड़ी देर में पानी पिलाते रहें ताकि वह हाइड्रेटेड रहे।

डिजिटल दुनिया का बनाएं सही नियम

आज के दौर में बच्चों को टेक्नोलॉजी से दूर रखना असंभव है, लेकिन इसकी सीमा तय करना बहुत ज़रूरी है।

स्क्रीन टाइम तय करें: बच्चे की उम्र के हिसाब से उसका स्क्रीन टाइम (मोबाइल, टीवी, टैबलेट) निश्चित करें।

पैरेंटल कंट्रोल का इस्तेमाल: फोन और कंप्यूटर पर पैरेंटल कंट्रोल ऐप्स का उपयोग करें ताकि बच्चा केवल सुरक्षित कंटेंट ही देख सके।

'नो-फोन' जोन: घर में कुछ जगहों को 'नो-फोन' जोन बनाएं, जैसे डाइनिंग टेबल और बेडरूम, ताकि परिवार एक-दूसरे के साथ समय बिता सके।

नींद है सबसे अच्छी दवा

अच्छी नींद बच्चों के विकास, सीखने की क्षमता और मूड के लिए बेहद ज़रूरी है।

सोने का समय तय करें: रोज़ाना बच्चे के सोने और जागने का एक निश्चित समय तय करें, चाहे छुट्टी का दिन ही क्यों न हो।

शांत माहौल बनाएं: सोने से कम से कम एक घंटा पहले टीवी और मोबाइल बंद कर दें और कमरे में शांत माहौल बनाएं।

सिखाएं 'गुड टच' और 'बैड टच' का फर्क

बच्चों की यौन सुरक्षा सबसे महत्वपूर्ण है। उन्हें छोटी उम्र से ही 'गुड टच' और 'बैड टच' के बारे में बताएं। उन्हें सिखाएं कि उनके शरीर पर उनका अधिकार है और अगर कोई उन्हें असहज तरीके से छूता है, तो वे तुरंत आपको बताएं।

 आउटडोर खेल हैं ज़रूरी

मोबाइल गेमिंग के इस युग में बच्चों को बाहर खेलने के लिए प्रोत्साहित करना बहुत ज़रूरी है। बाहर खेलने से न केवल उनकी शारीरिक फिटनेस बढ़ती है, बल्कि उनकी सोशल स्किल्स भी विकसित होती हैं।

 हाइजीन की आदतें डालेंहाथ धोना: बच्चों को खाना खाने से पहले और बाद में, और बाहर से आने के बाद साबुन से हाथ धोने की आदत डालें।

मुंह की सफाई: उन्हें दिन में दो बार ब्रश करने का महत्व समझाएं।

बनें रोल मॉडल, दोस्त नहीं: याद रखें, आप अपने बच्चे के माता-पिता हैं, दोस्त नहीं। अनुशासन और प्यार के बीच संतुलन बनाना ज़रूरी है। खुद अच्छी आदतें अपनाएं, क्योंकि बच्चे उपदेशों से नहीं, बल्कि आपको देखकर सीखते हैं।